मंत्रिमण्डल ने गोवा के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को पेश करने को दी स्वीकृति

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 08 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गोवा के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को संसद में पेश करने के लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।

गोवा में अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ऐसा कानून बनाना अनिवार्य है, जो निर्वाचन आयोग को संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 में संशोधन करने और राज्य की अनुसूचित जनजातियों के लिए गोवा विधानसभा में सीटों को फिर से समायोजित करने के लिए सशक्त बनाने वाले सक्षम प्रावधान करता हो।

प्रस्तावित विधेयक की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
(i) यह जनगणना आयुक्त को जनगणना 2001 के प्रकाशन के बाद अनुसूचित जनजाति घोषित की गई जनजातियों की आबादी के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए गोवा में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या को सुनिश्चित और निर्धारित करने का अधिकार देता है। जनगणना आयुक्त द्वारा सुनिश्चित और निर्धारित विभिन्न जनसंख्या आंकड़ों को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा और उसके बाद, इन जनसंख्या आंकड़ों को अंतिम आंकड़े माना जाएगा और ये आंकडे पहले प्रकाशित सभी आंकड़ों का स्थान लेंगे, ताकि संविधान के अनुच्छेद 332 में किए गए प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जनजातियों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जा सके;

(ii) यह निर्वाचन आयोग को संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 में आवश्यक संशोधन करने का अधिकार देता है, ताकि विधानसभा में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन द्वारा गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके;

(iii) निर्वाचन आयोग अनुसूचित जनजातियों के संशोधित जनसंख्या आंकड़ों पर विचार करेगा और संविधान के अनुच्छेद 170 और 332 के प्रावधानों और परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 8 को ध्यान में रखते हुए विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र को फिर से समायोजित करेगा;

(iv) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन के उद्देश्य के लिए, भारत का निर्वाचन आयोग अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित करेगा और उसके पास सिविल न्यायालय की कुछ शक्तियां होंगी;

(v) यह भारत के निर्वाचन आयोग को परिसीमन आदेश में किए गए संशोधनों और इसके संचालन की तारीखों को राजपत्र में प्रकाशित करने का भी अधिकार देता है। संशोधित परिसीमन आदेश मौजूदा विधान सभा के भंग होने तक उसकी व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगा;

(vi) प्रस्तावित विधेयक निर्वाचन आयोग को उक्त परिसीमन आदेश की त्रुटियों में आवश्यक सुधार करने का भी अधिकार देता है;

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.