25 करोड़ एपीएआर आईडी पहले ही बनाई जा चुकी हैं- धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान ने एपीएएआर: वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी कार्ड पर राष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14फरवरी। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में एपीएआर: वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी कार्ड पर राष्ट्रीय सम्मेलन में भागीदारी की। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव संजय के. मूर्ति, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग सचिव, संजय कुमार, कौशल विकास एवं उद्यमिता सचिव अतुल कुमार तिवारी, इलैक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम एनबीए एनएएसी के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे के अलावा देश भर के विभिन्न संस्थानों के कुलपति, निदेशक, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, शिक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग जगत के भागीदार उपस्थित थे। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल ने स्वागत भाषण दिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि किस प्रकार से एपीएआर आईडी देश के छात्रों के लिए महत्वाकांक्षी और वैश्विक दस्तावेज बनने जा रहा है। हाल के वर्षों में देश में विकसित कई महत्वपूर्ण डीपीआई के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार से 16 देशों में 53 ऐसे डीपीआई विकसित किए गए हैं, जिनमें से 19 भारत में हैं। उन्होंने ‘डिजिटल इंडिया’ की परिकल्पना के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह व्यवस्था अब पूर्ण गति के साथ कार्यशील है क्योंकि 25 करोड़ एपीएआर आईडी पहले ही बनाई जा चुकी हैं। उन्होंने संचालन में सुलभता लाने के लिए एपीएएआर आईडी, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और डिजी लॉकर के परस्पर संबंध के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण डिजिटल परिसंपत्तियों जैसे स्वयं, दीक्षा आदि का भी उल्लेख किया।

धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किए बिना प्रवासन और एकीकरण के प्रावधानों को शामिल करने में एनईपी2020 की भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि योग्यता को आकांक्षी बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ज्ञान के साथ-साथ कौशल से प्राप्त होती है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संजय कुमार ने हिंदी में शब्द के अर्थ के अनुरूप एपीएएआर आईडी की व्यापक पहुंच की जानकारी दी। उन्होंने एनईपी2020 के दृष्टिकोण का भी उल्लेख करते हुए इसकी कुछ महत्वपूर्ण आवश्यकताओं के अनुरूप कम से कम एक कौशल में दक्ष होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एपीएएआर देश में 260 मिलियन छात्रों के विशाल समूह को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि 25 करोड़ बच्चों के लिए एक स्थायी शिक्षा संख्या और उसके आधार पर उन्हें एपीएआर आईडी जारी किए गए हैं। स्कूली शिक्षा को जीवन की सुगमता का अंग बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दोहराते हुए उन्होंने बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा को सरल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने एपीएआर के साथ इसके जुड़ाव का भी उल्लेख करते हुए समग्र प्रगति कार्ड, विद्या समीक्षा केंद्र आदि की जानकारी दी।

अपने संबोधन में के. संजय मूर्ति ने एपीएआर आईडी और एक अन्य महत्वपूर्ण डीपीआई, समर्थ, इसका उपयोग, पहुंच और एपीएआर के साथ निर्बाध जुड़ाव के लाभों का उल्लेख किया। उन्होंने हर संस्थान से समर्थ मंच को अपनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने स्वयं प्लेटफॉर्म के बारे में भी जानकारी देते हुए कहा कि शीघ्र ही शुभारंभ होने वाले इसके नए संस्करण में प्रासंगिक पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए अग्रणी उद्योगों की सामग्री शामिल होगी। उन्होंने कहा कि मान्यता और सत्यापन के लिए एक डिजिटल रिकॉर्ड की आवश्यकता होगी।

कार्यक्रम के दौरान जॉब प्रोफाइल के साथ एपीएआर आईडी और क्रेडिट सिस्टम के एकीकरण का समाधान निकालने और शिक्षा में डिजीलॉकर की विकसित भूमिका की खोज पर दो पैनल चर्चाऐं की गईं।

स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री (एपीएएआर) 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और राष्ट्रीय क्रेडिट और योग्यता फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) के अनुरूप शुभारंभ की गई यह एक परिवर्तनकारी पहल है। इसका उद्देश्य प्रत्येक छात्र को एक अद्वितीय और स्थायी 12-अंकीय आईडी प्रदान करके, उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को एक ही स्थान पर समेकित करके पूरे भारत में छात्रों के लिए एक एकीकृत और सुलभ शैक्षणिक अनुभव प्रदान करना है। इसकी अधिक जानकारी https://abc.gov.in/ से प्राप्त कर सकते हैं।

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