काशी-प्रयाग-अयोध्या से बनेगा, धार्मिक पर्यटन का सबसे बड़ा ‘गोल्डन ट्रायंगल’

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23जनवरी। काशी, प्रयागराज और अयोध्या धाम धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) में शामिल हो जाएगा। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर दिन एक से डेढ़ लाख लोगों के आने की संभावना है। साल भर में संख्या 10 करोड़ को पार कर सकती है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या धाम धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) में शामिल हो जाएगा। काशी, प्रयागराज और अयोध्या के साथ ही इसमें स्वामी नारायण संप्रदाय के प्रणेता भगवान स्वामी नारायण का जन्मस्थान छपिया, नाथ संप्रदाय का प्रेरणा स्थल श्रीगोरखनाथ मंदिर और पूर्वांचल का शक्ति स्थल विंध्याचल देवी का मंदिर भी शामिल हैं। यही समावेश इसे सबसे बड़ा धार्मिक त्रिकोण बना रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर दिन एक से डेढ़ लाख लोगों के आने की संभावना है। साल भर में संख्या 10 करोड़ को पार कर सकती है। पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, देश में 75 फीसदी पर्यटन क्षेत्र धार्मिक हैं। ऐसे में यह त्रिकोण सबसे ज्यादा पर्यटक खींचने वाला बनने जा रहा है। राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल अयोध्या के एकलौते महंत दिनेंद्र दास कहते हैं कि यह देश का ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक त्रिकोण है। 200 किलोमीटर के भीतर ही सब समाहित हो रहे हैं।

इस धार्मिक त्रिकोण पर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। इसमें 31 हजार करोड़ रुपए तो सिर्फ अयोध्या में खर्च होंगे। 51 हजार करोड़ रुपए से अधिक बनारस और 20 हजार करोड़ रुपए प्रयागराज में खर्च होंगे। अयोध्या में अगले दस सालों में 85 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस त्रिकोण के बीच की दूरी बेहतर सड़कों के कारण चार घंटे से भी कम हो गई है। विंध्याचल मंदिर कारिडोर बनकर तैयार है। देवरिया में स्थित देवरहा बाबा मंदिर के विकास पर करोड़ों रुपए की धनराशि जारी की गई है।

काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के बाद काशी का पर्यटन तीन गुना हो गया है। करीब 1000 करोड़ रुपए से बनकर तैयार हुआ काशी कारिडोर पर्यटकों का नया रिकॉर्ड बना रहा है। इसका सीधा असर यहां के व्यापार पर हुआ है। एक पर्यटक 18 लोगों को रोजगार देता है। रेलवे स्टेशन और हवाईमार्ग का विकास हो चुका है। अब काशी में नया रोप-वे भी बन रहा है। काशी में 51 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम हो रहा है। घाट चमाचमा रहे हैं और गंगा में क्रूज चल रहा है। बौद्ध पर्यटन के लिए लिहाज से सारनाथ का भी विकास हो रहा है। काशी में 13 करोड़ लोगों ने पिछले साल दर्शन किए हैं।

संगम नगरी प्रयागराज में विकास का कुंभ चल रहा है। महाकुंभ से पहले कई परियोजनाओं का हरी झंडी दिखाई गई है। अब 150 घाटों का फिर से विकास किया जा रहा है। लाइट मेट्रो भी चलाने की तैयारी है। बमरौली हवाईअडडे पर करीब 300 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। गंगानदी पर 2550 लाख रुपए में छह लेन सेतु का निर्माण किया जाएगा। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय पर 20,000 लाख रुपए खर्च किया जा रहा है। पर्यटन विकास के लिहाज से 16 सेतु निर्माण के लिए 1200 लाख रुपए की स्वीकृति दी जा चुकी है। श्रृगेवरपुर धाम में 1313 लाख रुपए से निषादराज पार्क का निर्माण किया जा रहा है।

अयोध्या में गलियों से हवाईअडडे तक विकास की नई गाथा लिखी जा रही है। 31 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं से धर्मपथ और रामपथ जैसे 30 किलोमीटर का दिव्य मार्ग बना। हवाईपटटी सीधे अंतरराष्ट्रीय हवाईअडडे में तब्दील हो गई। इस पर 737 जेट विमान भी उतर सकता है। ई-बसों ने शहर को नई सांस दी है। 22 जनवरी के बाद पर्यटन सात गुना अधिक होने का अनुमान है। होटलों का किराया सात से 12 गुना तक चला गया है। 500 रुपए में मिलने वाला कमरा 5000 रुपए में मिल रहा है। मैरियट से लेकर ट्राइडेंट तक होटल खोल रहे हैं।

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