हमें भारतीय होने पर गर्व हो, आज दुनिया भारत की सराहना कर रही है: उपराष्ट्रपति धनखड़

उपराष्ट्रपति ने राजस्थान की 16वीं विधान सभा के एक दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को किया संबोधित, विधायिका में विपक्ष की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 जनवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान की 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, विधान सभा सदस्यों का आह्वाहन किया कि आज जब दुनिया भारत की सराहना कर रही है, हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ स्वयं राजस्थान की 10वीं विधानसभा के सदस्य रहे।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र में विपक्ष के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा हुए कहा कि विपक्ष संसदीय व्यवस्था की रीढ़ होता है जो समय समय पर सरकार की कमियों पर ध्यान दिला कर, उसे मार्ग पर लाता है। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने सदस्यों से संविधान सभा के सदस्यों के आचरण का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान सभा के लगभग 3 वर्ष के कार्यकाल में ऐसा एक भी अवसर न था जब सदस्यों ने व्यवधान पैदा किया हो या तख्तियां दिखाई हों। उन्होंने कहा कि विधानसभा सदस्यों का आचरण मर्यादित और अनुकरणीय होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि “व्यवधान करने की shelf life अखबार की कल की सुर्खियां हो सकती है पर उनका प्रभाव ज्यादा दिन तक नहीं रहता है। सदन में व्यवधान पैदा करके विपक्ष बहुत बड़ा अवसर खो देता है। जब सदन नहीं चलता है तो सबसे ज्यादा प्रसन्नता सरकार को होती है क्योंकि- आप सरकार से प्रश्न नहीं पूछ सकते। और ना ही सरकार को कटघरे में नहीं खड़ा कर सकते हैं।” उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में नुकसान भी सरकार का ही होता है क्योंकि सरकार विपक्ष की योग्यता का फायदा नहीं ले पाती है।

इस संदर्भ में उन्होंने बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की चेतावनी को याद दिलाया कि यदि विधायिका जनहित के मुद्दों का समाधान नहीं करेगी तो वह जनता का विश्वास खो देगी।

उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे हमारे संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपियां सदस्यों को उपलब्ध कराएं जिसमें भारत का 5000 साल का इतिहास चित्रों में उकेरा गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये चित्र भारत की उदार विचार परंपरा को परिलक्षित करते हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत के संविधान को लोगों ने पढ़ा है, पर जो संविधान उपलब्ध है वह पूर्ण नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में चित्र भी हैं। मौलिक अधिकारों वाले भाग में जो चित्र है, उसमें श्री राम, सीता और लक्ष्मण पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे हैं और ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ वाले भाग में कुरुक्षेत्र का चित्र है जिसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि “मुझे समझ नहीं आता कि संविधान का यह भाग अक्सर किताबों से दूर क्यों रह जाता है?”

उन्होंने कहा कि सदन को चलाना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का साझा दायित्व है। उन्होंने कहा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही विधान सभा का अंग हैं। विधानसभा को एक परिवार की तरह सम्मति से काम करना चाहिए।

इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि सदस्यों का निलंबन उनके लिए पीड़ा का विषय था। उन्होंने कहा कि सदन में व्यवधान क्षणिक सुर्खियां तो दिलवा सकते हैं लेकिन समाज हित में दीर्घकालिक प्रभाव नहीं डाल सकते। उन्होंने कहा सदस्य भी सीमाओं से बंधे होते हैं। उपराष्ट्रपति ने राजनैतिक दलों से आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को चर्चा में भाग लेने का अवसर दें, तभी उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आसन पर संदेह करना ठीक नहीं है। आसन पर बैठने वाला व्यक्ति दोनों तरफ देखता है। हल्की-फुल्की बातें इतनी हो जाती है कि हमें उनको दिल पर नहीं लेना चाहिए!

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभा का सदस्य होना, एक अवसर है, विधायक इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएं। आप 2047 के राजस्थान और भारत की नींव रख रहे हैं।

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोग सड़क पर आंदोलन इसलिए करते हैं क्योंकि व्यवधान के कारण सदन में उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं होती।

इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने खेद व्यक्त किया कि हाल के संसद सत्र के दौरान तीन नए दंड विधानों पर हुई चर्चा में कानून के जानकार वरिष्ठ विपक्षी सदस्यों के ज्ञान का लाभ नहीं मिला, जबकि वे निलंबित भी नहीं थे। उन्होंने राजनैतिक दलों से कहा कि वे अपने सदस्यों को सदन की चर्चा में भाग लेने दें जिससे सदस्यों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि आज किसी भी सदस्य के बारे में सोशल मीडिया पर ऐसी भ्रांति फैलाई जा सकती है जो एक बड़ी आग का रूप ले लेगी। इस सदन को तय करना है कि ऐसी चीजों पर अंकुश कैसे लगाया जाए?

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच परस्पर विश्वास और सौहार्द का संबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी कार्यपालिका कड़ी परीक्षा से चुन कर आती है, उनके अधिकारी सक्षम और दक्ष हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास का स्रोत तो विधायिका ही होती है।विधायिका ही कार्यपालिका का मार्गदर्शन करती है लेकिन उसे कार्यान्वित कार्यपालिका करती है। तभी जनता को गैस के चूल्हे, शौचालय और पेय जल के कनेक्शन मिल सके हैं। उन्होंने कहा कि विकास के विषयों को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है न कि किसी पक्ष का।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्रवादी है। लेकिन कुछ लोग स्वयं दिग्भ्रमित हैं जो भ्रम और भ्रांतियां फैला रहे हैं। विधान सभा को इसके विरुद्ध प्रभावी प्रतिवाद करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विधानसभा के नवनिर्वाचित सभी सदस्यों को सपरिवार दिल्ली में नए संसद भवन और भारत मंडपम देखने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि ये इमारतें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।

अपने उद्बोधन में उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, तथा दोनों उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी तथा डा. प्रेम चंद्र बैरवा के नेतृत्व में राजस्थान की प्रगति को लेकर आशा व्यक्त की।

इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, डा. प्रेम चंद्र बैरवा, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य तथा प्रदेश से निर्वाचित सांसद एवं प्रदेश विधान सभा के सदस्य उपस्थित रहे।

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