हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली में ‘शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी वित्त के दोहन- जी20 इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप से मिले सबक’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला को किया संबोधित

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30नवंबर। केंद्रीय आवासन और शहर कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “सेवाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने, परिचालन क्षमता बढ़ाने, वित्तीय तौर पर परियोजनाओं की स्थिरता और डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य पर नजर रखने और एक समग्र शहरी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।” उन्होंने नई दिल्ली में ‘शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी वित्त के दोहन- जी20 इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप (आईडब्ल्यूजी) से मिले सबक’ पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेष संबोधन के दौरान ये विचार व्यक्त किए।

वित्त मंत्रालय ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी) के सहयोग से राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान आईडब्ल्यूजी द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में शहरी बुनियादी ढांचे के लिए निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिहाज से मिले महत्वपूर्ण सबक को सामने लाना था।

नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) 2023 ने इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप (आईडब्ल्यूजी) के प्रमुख परिणामों में से एक के रूप में “भविष्य के शहरों के वित्तपोषण के सिद्धांतों: टिकाऊ, लचीले और समावेशी” का समर्थन किया है।

इसके सिद्धांतों में शहरी नियोजन सुधार, स्वयं के राजस्व स्रोत को बढ़ाना, निवेश दक्षता को अधिकतम करना, शहरों की साख में सुधार करना, हरित, सामाजिक और टिकाऊ बॉन्ड जैसे वित्तपोषण के नए विकल्पों का उपयोग करना, निवेश योग्य परियोजनाओं की एक पाइपलाइन तैयार करना, नियामकीय वातावरण को सक्षम करना और शहरी प्रशासनों की क्षमता में बढ़ोतरी और संस्थागत तैयारी शामिल हैं।

पहले सत्र के दौरान अपने मुख्य भाषण में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने शहरी परिदृश्य की परिभाषा पर नए सिरे से विचार करने के साथ-साथ शहरी शासन के ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यशाला के आयोजन के संदर्भ का उल्लेख करते हुए, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय में सचिव अजय सेठ ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य आईडब्ल्यूजी के निष्कर्षों को भारत की घरेलू नीति-निर्माण प्रक्रिया से जोड़ना और शहरों की क्षमता और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के इंजन के रूप में भविष्य के शहरों महत्व पर जोर देना है। अजय सेठ ने भविष्य के शहरों को टिकाऊ, लचीला और समावेशी बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

अपने स्वागत भाषण में, एमओएचयूए सचिव मनोज जोशी ने दीर्घकालिक शहरी नियोजन, भूमि के संभावित मूल्य को सामने लाने, निजी वित्तपोषण को आकर्षित करने और तकनीकी एवं संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने शहरों को शहरी बुनियादी ढांचे के विकास को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाने के लिए अपने राजस्व स्रोतों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। मनोज जोशी ने शहरी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में वित्तपोषण की कमी को दूर करने के लिए शहरी संसाधनों के ‘मूल्य हासिल करने वाले वित्तपोषण’ की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

इसके बाद सीएनबीसी टीवी-18 की शीरीन भान द्वारा संचालित विशेषज्ञ पैनल ने ‘आर्थिक विकास के इंजन के रूप में शहर- बेहतर शहरी बुनियादी ढांचे के परिदृश्य के लिए विजन’ विषय पर चर्चा की, जिसमें मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन, एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स लिमिटेड के एमडी और सीईओ विपुल रूंगटा,, विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर (भारत) अगस्टे तानो कौमे, जनाग्रह की सह-संस्थापक स्वाति रामनाथन जैसे प्रतिष्ठित वक्ता शामिल थे।

चर्चा का प्रमुख विषय देश में शहरीकरण की गति को पूरा करने के लिए स्थानिक शहरी नियोजन, पारगमन उन्मुख विकास, किफायती आवास, नागरिकों की बढ़ती भागीदारी और शहरी केंद्रों से जुड़े भूमि बाजार में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता के इर्द-गिर्द घूमता रहा। इस दौरान पैनलिस्टों ने वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए केंद्र, राज्य और हितधारकों के बीच सहयोग और संबंध के महत्व को रेखांकित किया।

वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, भारत के सीईओ माधव पईने ‘शहरी बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में निजी वित्त को आकर्षित करने से जुड़ी प्रमुख चुनौतियां और पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाना’ पर हुई पैनल चर्चा का संचालन किया, जिसमें पैनलिस्ट के रूप में एसबीआई चेयरमैन दिनेश कुमार खारा, वीए टेक वबाग लिमिटेड के सीएमडी राजीव मित्तल, री सस्टेनेबिलिटी के सीईओ मसूद मलिक, क्रिसिल लिमिटेड के एमडी और सीईओ अमीश मेहता शामिल रहे।

इस पैनल ने शहरों की साख में सुधार करने, बैंक योग्य परियोजनाएं बनाने की आवश्यकता, शहरी प्रशासन की क्षमता विकास और राजस्व स्रोतों के विविधीकरण पर चर्चा की, जो अंततः शहरों को शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी पूंजी का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा।

शहरी बुनियादी ढांचे के लिए वित्तपोषण के नवीन साधनों के दोहन (ऋण, ग्रीन/ ब्लू बॉन्ड, स्थिरता से जुड़े वित्त/टीओडी/वीसीएफ) पर हुई पैनल चर्चा में पैनलिस्ट प्रमुख सचिव, शहरी विकास (मध्य प्रदेश) नीरज मंडलोई, कोटक महिंद्रा बैंक की प्रेसिडेंट और सस्टेनेबिलिटी टीम की प्रमुख पूर्णिमा नसारे, एचएसबीसी के एमडी और ग्लोबल बैंकिंग प्रमुख, सस्टेनेबल फाइनेंस के भारतीय प्रमुख दिबिरथ सेन, ईयू प्रतिनिधिमंडल के सहयोग प्रमुख फ्रैंक वियाल्ट शामिल रहे और सत्र का संचालन आईएफसी के इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजर सन पेलमार ने किया।

पैनल ने वित्तपोषण तंत्र को फिर से शुरू करके, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए रियायती/मिश्रित वित्तपोषण की पेशकश के जरिये एक स्थायी बुनियादी ढांचे से जुड़े निवेश पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने की योजनाओं और इसे बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर, वक्ताओं ने भविष्य के शहरों को आकार देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुमूल्य विचारों और रणनीतियों से अवगत कराया।

कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, सिक्किम और अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों सहित 175 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा, वित्तीय संस्थानों, नियामकों, उद्योग भागीदारों से जुड़े वरिष्ठ कार्यकारियों और डीईए और एमओएचयूए के अधिकारियों ने भी कार्यशाला में भाग लिया।

कार्यशाला में हुई चर्चा दुनिया में तेजी से शहरीकरण से गुजर रहे शहरों के लिए गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचा प्रदान करने की जरूरत से जुड़ी सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक पर केंद्रित थी। इस अवसर पर, शहरों की वित्तीय स्थिति पर विचार करते हुए, भविष्य के विकासशील शहरों में निजी वित्तपोषण की भूमिका पर जोर दिया गया।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.