भविष्य के सभी स्टार्टअप उद्यमों और अन्य नई प्रौद्योगिकी पहलों में उद्योग से एक प्रमुख संसाधन योगदानकर्ता होने की आशाः डॉ. जितेंद्र सिंह

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6अक्टूबर। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भविष्य के सभी स्टार्टअप उपक्रमों और अन्य नई प्रौद्योगिकी पहलों में उद्योग से एक प्रमुख संसाधन योगदानकर्ता होने की आशा की जाएगी।

मंत्री महोदय ने कहा कि हम सभी को प्रारंभ से ही समान हितधारक बनना होगा और इसके लिए उद्योग जगत को हर चीज के लिए सरकार की ओर देखने की पहले की मानसिकता को भी बदलना होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में एसोचैम द्वारा आयोजित तीसरे भारत क्वांटम टेक्नोलॉजी कॉन्क्लेव, 2023 में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, सरकार, शिक्षा और उद्योग के साथ एक समान संबंध बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है क्योंकि देश उभरती हुई क्वांटम प्रौद्योगिकी सहित अग्रणी अनुसंधान एवं विकास में प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के लिए वैश्विक दृष्टिकोण, वैश्विक रणनीतियों और वैश्विक मापदंडों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उद्योग को जोखिम प्रबंधन में आगे आना होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) के पास विशाल गैर-सरकारी संसाधन होंगे। उन्होंने कहा कि 36,000 करोड़ रुपये यानी पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के एनआरएफ बजट का 70 प्रतिशत गैर-सरकारी स्रोतों से आने की परिकल्पना की गई है।

उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच का अंतर मिट जाएगा और एकीकरण होगा। उन्होंने कहा कि एनआरएफ एक थिंक टैंक के रूप में भी काम करेगा, उसे उन विषयों को भी तय करने का अधिकार है, जिन पर परियोजनाओं को शुरू किया जाना है और वित्त पोषित किया जाना है तथा विदेशी सहयोग पर निर्णय लेना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रारंभ से ही उद्योग जगत से जुड़ाव रहेगा, जिससे नवाचार के लिए अधिकतम ईको-सिस्टम तैयार होगा। भारत में क्वांटम स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए उद्योग और पूंजी की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि हमारे पास आज अरोमा मिशन के अंतर्गत 3,000 स्टार्टअप और 150 स्पेस स्टार्टअप हैं। हमें पिछले नौ वर्षों में शुरू हुए 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप का स्थायित्व सुनिश्चित करना होगा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि पहले की नीतिगत पंगुता की तुलना में मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के साथ एक मजबूत स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग वातावरण के लिए रूपरेखा तैयार करते हुए एक स्पष्ट नीति योजना तैयार की है। इसके परिणामस्वरूप हमने क्वांटम टेक्नोलॉजी के हमारे रास्ते में आने से पहले ही हमने क्वांटम छलांग देखी।

उन्होंने कहा कि हम क्वांटम प्रौद्योगिकी के साथ आने वाले सातवें देश हैं लेकिन आज हम विकसित देशों के बराबर हैं और अग्रणी भी हैं। विश्व आज हमारी ओर देखता है और इससे हमारे दायित्व बढ़ जाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हाल ही में अनुमोदित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) भारत को क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग, क्वांटम सामग्री, मेट्रोलॉजी और उपकरणों जैसे क्षेत्रों में शीर्ष वैश्विक नेताओं में से एक बना देगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कैबिनेट द्वारा 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत के अनुमोदित एनक्यूएम का उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, और क्वांटम टेक्नोलॉजी (क्यूटी) में एक जीवंत और नवाचारी ईको-सिस्टम बनाना है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्रांस, कनाडा तथा चीन के बाद भारत समर्पित क्वांटम मिशन वाला सातवां देश है। मिशन से स्वास्थ्य, वित्त, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के अतिरिक्त दवा डिजाइन, अंतरिक्ष, बैंकिंग, सुरक्षा जैसे क्षेत्रों को बहुत लाभ होगा। यह डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को भी प्रोत्साहित करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में क्वांटम अनुसंधान एवं विकास, सॉफ्टवेयर विकास और घटकों और उपकरण मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनने की क्षमता है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने कहा कि यह भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की बड़ी योजना के साथ बहुत मेल खाता है।

भारत में वर्तमान में लगभग एक सौ क्वांटम परियोजनाएं हैं जिनमें से लगभग 92 प्रतिशत केंद्र द्वारा प्रायोजित हैं। एनक्यूएम का लक्ष्य सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में 8 वर्षों में 50-1000 फिजीकल क्यूबिट के साथ मध्यवर्ती पैमाने के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.