इस संपर्क का प्राथमिक लक्ष्य नीति निर्माताओं और उनकी नीतियों से सीधे प्रभावित होने वाले लोगों के बीच की खाई को पाटना है: परशोत्तम रूपाला

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के आठवें चरण का किया नेतृत्व

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01सितम्बर। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन के साथ डीओएफ सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी डॉ. एल. एन. मूर्ति की मौजूदगी में सागर परिक्रमा के आठवें चरण का नेतृत्व किया।

सागर परिक्रमा कार्यक्रम के आठवें चरण का शुभारंभ मछुआरों और महिलाओं द्वारा परशोत्तम रूपाला के गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ हुआ और फिर यह तिरुवनंतपुरम जिले में मछली पकड़ने के मुथलापोझी बंदरगाह और विझिंजम बंदरगाह तक आगे बढ़ा। परशोत्तम रूपाला ने मछुआरों के जीवन और आजीविका के तौर-तरीके जानने के लिए उनसे बातचीत की। इस दौरान खुलकर चर्चा भी हुई जिसमें मछुआरों ने अपने अनुभवों, चुनौतियों और आकांक्षाओं के बारे में बताया, जैसे कि विझिंजम बंदरगाह में नावों की संख्या बढ़ गई है इसलिए बंदरगाह का विस्तार हो। केंद्रीय मंत्री रूपाला ने मुथलापोझी ब्रेकवाटर संरचना के बारे में चर्चा की, और इस डिजाइन पर विचार-विमर्श किया जिसका पीएमएमएसवाई पहल के अंतर्गत ज़रूरी सुधार उपायों को लागू करने के लिए पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है। परशोत्तम रूपाला ने बताया कि इस तरह की बातचीत का प्राथमिक लक्ष्य नीति निर्माताओं और उनके द्वारा बनाई नीतियों से सीधे प्रभावित होने वाले लोगों के बीच की खाई को पाटना है। लगभग 200 मछुआरों ने मुथलापोझी बंदरगाह पर हिस्सा लिया और 150 मछुआरे विझिंजम बंदरगाह पर मौजूद थे।

इसके अलावा, परशोत्तम रूपाला ने डॉ. एल. मुरुगन के साथ सीएमएफआरआई में सिल्वर पोम्पानो की उत्पादन इकाइयों का दौरा और निरीक्षण किया। परशोत्तम रूपाला ने यहां उत्पादन को अधिकतम करने के लिए बड़ी उत्पादन इकाइयां लगाने की सलाह दी।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व में गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने कन्याकुमारी जिले का दौरा किया। इस कार्यक्रम में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन के अलावा नागरकोइल विधान सभा सदस्य गांधी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन भी उपस्थित थे। बाद में तटीय गांवों में हुई बातचीत में मछुआरों ने मंत्रियों से कई मांगों को लेकर आग्रह किया। इनमें समुद्री एम्बुलेंस, हेलीकॉप्टर द्वारा मछुआरों के लिए बचाव सुविधा, मछुआरों के लिए बीमा राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने और रेडियो फोन तथा संचार केंद्रों के प्रावधान सहित मछली पकड़ने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार जैसी विभिन्न मांगें शामिल थीं। विभिन्न योजना लाभार्थियों, मछुआरों, महिला मछुआरों, मछली पालक किसानों और नाव मालिकों ने इस प्रतिनिधिमंडल के साथ अपने जमीनी अनुभव और जीवन की कहानियां साझा की। मछुआरों ने अपनी आजीविका पर पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के अनूठे योगदान पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।

केंद्रीय मंत्री रूपाला ने आश्वासन दिया कि मछुआरों की सभी मांगों पर विचार किया जाएगा और उनमें से प्रत्येक पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इन चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए मछुआरों को धन्यवाद दिया और कहा कि मछली पालन से संबंधित पैमानों में सुधार के लिए अध्ययन करवाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अपनी आजीविका में सुधार करने के लिए देश भर के मछुआरों ने ख़ूब मांग की थी, जिसके मद्देनज़र प्रधानमंत्री ने मत्स्य पालन के लिए अलग विभाग बनाया। मत्स्य पालन क्षेत्र में जमीनी हकीकत को समझते हुए ही मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए निवेश किया गया है। श्री रूपाला ने मत्स्य पालन क्षेत्र में ग्रामीणों के योगदान की भी सराहना की और मत्स्य पालन की मूल्य शृंखला में बड़े अंतराल को दूर करने के बारे में विस्तार से बात की।

इसके अलावा परशोत्तम रूपाला ने लाभार्थियों से आगे आने और केसीसी के फायदे मछली किसानों और संबद्ध गतिविधियों के लिए उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने वॉलंटियरों से अनुरोध किया कि पीएमएमएसवाई, केसीसी जैसी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में सहयोग करें ताकि लाभार्थी इसका लाभ उठा सकें।

राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने सागर परिक्रमा के सात चरणों के बारे में बताया जिसका मछुआरों और स्थानीय महिलाओं की तरफ से अनूठा और शानदार स्वागत किया गया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में तमिलनाडु समुद्री मत्स्य पालन के लिहाज़ से बड़ी क्षमता रखता है। साथ ही वह मछली पकड़ने के उचित समुद्री नियमों, समुद्री फिश लैंडिंग की जगहों पर उचित स्वच्छता बनाए रखने और प्रौद्योगिकी निवेश के मामले में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि समुद्री खाद्य निर्यात में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है। उन्होंने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि कैमेदु हार्बर, चेन्नई का आधुनिकीकरण किया जा चुका है और बीते 9 वर्षों में मछुआरा समुदाय के विकास के लिए 38,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र की तरक्की के लिए अपने सुझाव साझा करने हेतु मछुआरों, मछली किसानों, लाभार्थियों, तट रक्षक अधिकारियों को धन्यवाद दिया।

बाद में दिन में कन्याकुमारी में एक मंच कार्यक्रम की योजना भी बनाई गई है जहां परशोत्तम रूपाला अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ लगभग 700 मछुआरों के साथ संपर्क करेंगे, 160 से अधिक लाभार्थियों को विभिन्न लाभ वितरित करेंगे और सभा को संबोधित करेंगे।

मत्स्य पालन और जलीय कृषि दरअसल भोजन और पोषण के साथ-साथ रोजगार, धन तथा विदेशी मुद्रा के प्रमुख स्रोत हैं। भारत के पास विविध जलीय संसाधन आधार है और विभिन्न प्रकार की मछलियां पैदा होती हैं। भारत में यह महत्वपूर्ण क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर लगभग 2.8 करोड़ मछुआरों और मछली किसानों के साथ-साथ इस मूल्य शृंखला से ऊपर के कई लाख मछुआरों को भी आजीविका, रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है। भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा है। विश्व स्तर पर भारत झींगा पालन में पहले स्थान पर और जलीय कृषि मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

सागर परिक्रमा का उद्देश्य बेहतर कल के लिए मछली पालन करना है, और यहीं पर आजीविका के साथ सस्टेनेबिलिटी भी आ मिलती है। सागर परिक्रमा यात्रा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के नेतृत्व में मछुआरों की एक अनूठी आउटरीच पहल है जो मार्च 2022 में शुरू हुई और भारत के समुद्र तट पर लगभग 8000 किलोमीटर तक जाएगी। इस यात्रा का लक्ष्य मछुआरों से उनके दरवाजे पर जाकर मिलना, उनकी कठिनाइयों और शिकायतों को सुनना, ग्रामीण स्तर की जमीनी हकीकत को देखना, सस्टेनेबल फिशिंग को प्रोत्साहित करना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी के अनुदान और पहलें अंतिम छोर तक पहुंचें। अब तक इस यात्रा ने गुजरात के मांडवी से लेकर केरल के विझिंजम तक तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सात चरणों को पूरा कर लिया है।

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के साथ-साथ केरल सरकार के मत्स्य पालन विभाग, तमिलनाडु सरकार, भारतीय तट रक्षक और मछुआरों के प्रतिनिधि सागर परिक्रमा के आठवें चरण का आयोजन कर रहे हैं और इसमें सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। यह चरण 30 अगस्त 2023 को विझिंजम, केरल से शुरू हुआ है। विझिंजम में इस परिक्रमा ने मुथलापोझी फिशिंग हार्बर, विझिंजम फिशिंग हार्बर और सीएमएफआरआई केंद्र को कवर किया और यह परिक्रमा तट के साथ-साथ तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले तक गई है। सागर परिक्रमा के आठवें चरण की यात्रा तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों से होते हुए थेंगापट्टनम, थूटूर, वलावल्ली, करुम्पनई, वानियाकुडी, कोलाचेल, मुट्टम, उवारी, पेरियातलई, वीरपांडियन पट्टिनम, थारुवैकुलम, मुकैयूर, रामेश्वरम, मंडपम और वालमावुर गांवों को कवर करते हुए कन्याकुमारी, तिरुनेलवेली, थूटूकुडी और रामनाथपुरम जिलों के चार तटीय क्षेत्रों में आगे बढ़ेगी। अन्य तटीय जिले जैसे तिरुवल्लूर, चेन्नई, कांचीपुरम, विल्लुपुरम, कड्डालोर, तिरुवरूर, कराईकल और केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी भी सागर परिक्रमा के आगामी उप-चरणों में शामिल किए जाएंगे।

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