भारत अब नेपाल में रोड, रेल लाइन बनवा रहा भारत, दोनों देशों के बीच सीमा चौकियों के विकास और नई चौकियों के निर्माण पर भी जोर

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 फरवरी। अपने निकटतम पड़ोस में चीन की बढ़ती गतिविधियों को नाकाम करने के लिए भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों से नेपाल में ढांचागत परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर निवेश करने की रणनीति अपनाई है. यह रणनीति एक तरह से चीन को करारा जवाब है. भारत विरोधी वातावरण बनाने के लिए बीजिंग नेपाल से म्यांमार तक और बांग्लादेश से श्रीलंका तक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में सशर्त निवेश कर वहां की सरकारों को अपने आर्थिक जाल में घेरता आया है.

जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने नेपाल का गेटवे मानी जाने वाली मौजूदा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के आधुनिकीकरण के साथ नई पोस्ट बनाने, पूर्व से पश्चिम तक नेपाल के भीतर और सीमा तक आने वाली सड़कों का जाल बिछाने, पुलों का निर्माण करने, नई रेल लिंक बनाने और एनर्जी प्रोजेक्ट्स पर फोकस करने का व्यापक खाका तैयार किया है. इन परियोजनाओं पर भारत 1000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करेगा.

भारत का जोर दोनों देशों के बीच सीमा चौकियों के विकास और नई चौकियों के निर्माण पर है ताकि नागरिकों के बीच अधिक मेलमिलाप सुनिश्चित किया जा सके. दोनों देशों के बीच आवाजाही के लिए रक्सौल सीमा चौकी की अहम भूमिका को देखते बीरगंज (नेपाल) में 135 करोड़ रु. की लागत से सीमा चौकी बनाई है. बिराटनगर में इसी तरह की आईसीपी बनने के बाद रुपईडिहा में भी सीमा चौकी बनाई जा रही है.

इसी तरह, सामरिक महत्व की पांच रेल लिंक भी विकसित करने पर काम चल रहा है. इनमें विभिन्न धार्मिक सर्किट को जोड़ने वाली रेल लाइनें भी शामिल हैं. नेपाल में सड़कों का निर्माण बहुत चुनौतीपूर्ण है. भारत सरकार इस काम को प्राथमिकता से पूरा करना चाहती है क्योंकि चीन इस हिमालयी देश में सड़क परियोजनाओं का झांसा देकर जनमत को प्रभावित करना चाहता है.

चीन का ध्यान नेपाल में बिजली परियोजनाओं पर भी है. इसके जवाब में भारत सरकार ने क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने, क्रॉस बॉर्डर पेट्रोलियम पाइपलाइन निर्माण के जरिए नेपाली घरों को ऊर्जा सप्लाई पर जोर दिया है।।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.