तिहाड़ के पूर्व डीजी और मंत्री की सांठगांठ का पर्दाफाश, आईपीएस संदीप गोयल की खुल गई पोल

 जेल की कोठरी में डीजी ने मंत्री संग बिताए 50 मिनट, गृहमंत्री अमित शाह, संदीप गोयल के खिलाफ कार्रवाई कब करोगे?

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इंद्र वशिष्ठ

12 करोड़ रुपए रंगदारी वसूलने के आरोप के बाद तिहाड़ जेल से हटाए गए तत्कालीन डीजी संदीप गोयल की पोल खुल गई है.
आईपीएस के 1989 बैच के अफसर संदीप गोयल की अब जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ सांठगांठ/ मिलीभगत का भी पर्दाफाश हुआ है.
जेल नियमों को ताक पर रख कर खाकी वर्दी को खाक में मिलाने वाले संदीप गोयल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

जेल में मंत्री की ऐश-
सत्येंद्र जैन को जेल में मसाज जैसी खास सुविधाएं (वीआईपी ट्रीटमेंट) मिलने की जानकारी ईडी ने अदालत को दी थी. सबूत के तौर पर जेल के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी दिए गए.
वीडियो सार्वजनिक होने से पूरी दुनिया ने देखा सत्येंद्र जैन जेल में कितने ऐशोआराम से है.
इन आरोपों की जांच के लिए गठित कमेटी ने अब अपनी रिपोर्ट में कई सनसनीखेज खुलासे कर संदीप गोयल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है.
दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) प्रिंसिपल सेक्रेटरी (कानून विभाग) और विजिलेंस सेक्रेटरी की कमेटी ने सत्येंद्र जैन मामले में अपनी रिपोर्ट दी है.

जेल की कोठरी में संदीप गोयल ने बिताए 50 मिनट-
रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन डीजी संदीप गोयल ने सत्येंद्र जैन से उसके सेल में 6 अक्टूबर 2022 को शाम 6.39 बजे से 7.29 बजे तक लगभग 50 मिनट की मुलाकात की. जिससे यह पता चलता है कि संदीप गोयल सत्येंद्र जैन के बिल्कुल करीबी हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि तत्कालीन डीजी संदीप गोयल की सांठगांठ/ मिलीभगत है.
इसके बाद 12 सितंबर को तब के जेल सुपरिटेंडेंट अजीत कुमार भी 15 मिनट तक सत्येंद्र जैन से उसके सेल में मिले थे.

डयोढी पर मुलाकात-
सितंबर और अक्टूबर के महीने के जेल मुलाकात रिकॉर्ड से पता चलता है कि सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन और परिवार के अन्य सदस्यों ने जेल के नियमों को ताक पर रखकर अक्सर मुलाकातें की.
यह मुलाकात भी जेल नियमों का घोर उल्लंघन कर जेल नंबर सात की डयोढी पर कराई गई थी. डयोढी मुलाकात के लिए नहीं, बल्कि कैदियों के आने जाने के लिए होती है.
रिपोर्ट के अनुसार जेल प्रशासन, खासकर तत्कालीन डीजी संदीप गोयल और निलंबित जेल सुपरिटेंडेंट अजीत कुमार की मिलीभगत के बिना यह हो ही नहीं सकता.

जैन की अदालत-
रिपोर्ट के अनुसार सत्येंद्र जैन जेल नियमों का उल्लंघन करते हुए ईडी के मामले के सह आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन के साथ अक्सर अपने कमरे में कोर्ट/दरबार लगाते थे. यहीं नहीं ईडी के अन्य मामले में आरोपी संजय गुप्ता और रमन भूरारिया के साथ भी अपने कमरे में बैठक करते थे. कैदियों के लिए प्रतिबंधित समय (कर्फ़्यू ) में भी यह बैठकें की जाती थी.

5 कैदियों ने की सेवा-
कैदियों ने अपनी मर्जी से सत्येंद्र जैन की सेवा नहीं की, बल्कि निलंबित जेल सुपरिटेंडेंट अजीत कुमार,वार्डन और जेल मुंशी की ओर से कैदियों को डराया गया. कैदियों को डर था कि अगर बात नहीं मानेंगे तो, उन्हें सजा और यातनाएं दी जाएगी.
रिपोर्ट के अनुसार रिंकू, अफसर अली, मनीष के अलावा सोनू सिंह और दलीप नामक कैदी सत्येंद्र जैन की सेवा में लगाए गए थे.

बेनामी खरीद-
रिपोर्ट के अनुसार, सत्येंद्र जैन द्वारा अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए फल,भोजन और अन्य वस्तुओं की खरीद के लिए अन्य कैदियों के जेल खाता कार्ड का बेनामी उपयोग किया गया था.ये जेल खाता कार्ड जेल वार्डन और अन्य आर्थिक रूप से संपन्न कैदियों द्वारा रिचार्ज किए गए थे.
जेल कैंटीन से सामान खरीदने के लिए 3-4 कैदियों के जेल खाता कार्ड का उपयोग सत्येंद्र जैन और उनके करीबी सहयोगी संजय गुप्ता द्वारा किया गया था. कार्ड से कैदी जेल कैंटीन से एक महीने में 7 हजार रुपए तक की ही खरीदारी कर सकता है. सत्येंद्र जैन ने ज्यादा सामान खरीदने के लिए दूसरे कैदियों के कार्ड का इस्तेमाल किया.

“फिजियोथेरेपिस्ट” निकला घोड़ी वाला-
सत्येंद्र जैन की मसाज करने वाले कैदी रिंकू ने कमेटी को बताया कि उसने मसाज देने या फिजियोथैरेपिस्ट की ट्रेनिंग नहीं ली है, बल्कि वह तो शादियों में घोड़ी उपलब्ध करवाने का काम करता था.
उल्लेखनीय है कि सत्येंद्र जैन के मसाज कराने का वीडियो वायरल होने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि डाक्टर की सलाह पर सत्येंद्र जैन की फिजियोथेरेपी की जाती है.
दूसरे कैदी अफसर अली ने बताया कि उसने संजय गुप्ता और सत्येंद्र जैन से वित्तीय और जेल से बाहर आने की मदद की उम्मीद में उनकी सेवा की और अपना कार्ड इस्तेमाल करने के लिए दिया.
मनीष नाम के कैदी ने बताया कि विकास नाम के जेल वार्डन ने उसके कार्ड में 6900 रुपए डलवाए, जिससे वो जैन की पसंद का खाने का सामान खरीदा कर लाता था. सोनू सिंह और दिलीप कुमार नाम के कैदी ने बयान दिया कि उसने कभी झाड़ू पोंछा का काम नहीं किया, लेकिन जेल के मुंशी के कहने पर जैन के सेल की साफ सफाई का काम किया उसे बहुत बुरा भी लगता था.

मंत्री, डीजी पर वसूली का आरोप-
तिहाड़ जेल के महानिदेशक(डीजी) के पद से आईपीएस संदीप गोयल को 4 नवंबर को हटा दिया गया था। जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को सात अक्टूबर को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उसने जेल मंत्री सत्येंद्र जैन को दस करोड़ रुपए और जेल के डीजी संदीप गोयल को 12.50 करोड़ रुपए दिए हैं। यह रकम प्रोटेक्शन और जेल में ऐशोआराम की सुविधाओं के लिए दी गई।

संदीप गोयल के खिलाफ सख्त कार्रवाई कब?-
संदीप गोयल को जेल डीजी के पद से तो बहुत पहले ही हटा दिया जाना चाहिए था। संदीप गोयल पेशेवर रुप से तो नाकाबिल बहुत पहले ही साबित हो गए थे।
सबसे खतरनाक बात तो यह है कि जेल में बंद कुख्यात बदमाश ही नहीं,आतंकी और रईस आरोपी भी जेल में न केवल ऐशोआराम से रहते हैं बल्कि बदमाश अपने गिरोह और यूनिटेक के अजय, संजय चंद्रा जैसे रईस जेल से अपना कारोबार चलाते रहे.
केंद्र सरकार अगर वाकई गंभीर होती तो अब तक तत्कालीन डीजी संदीप गोयल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके ऐसे आईपीएस अधिकारियों को एक संदेश दे देती.

हंगामा है क्यों बरपा-
जब पैसे के दम पर कुख्यात बदमाश, ठग जेल में ऐशोआराम से रह रहे हैं तो ऐसे में जेल मंत्री सत्येंद्र जैन को विशेष सुविधाएं देने का मामला तो एक तरह से बहुत ही मामूली लगता है सच्चाई यह है कि कोई भी राजनेता जेल में जाता है तो वह भी ऐसे ही ऐशोआराम से रहता है. हालांकि मंत्री का यह आचरण किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है. लेकिन मंत्री से भी ज्यादा दोषी तत्कालीन डीजी संदीप गोयल है. जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन ईमानदारी से नहीं किया.

वीडियो किसने लीक किए? –
भाजपा द्वारा चुनाव के समय राजनैतिक लाभ के लिए इस मामले को उठाया जाना स्वाभाविक है.लेकिन ईडी द्वारा अदालत में जमा कराए गए जैन के वीडियो लीक कैसे हो गए? सरकार का कर्तव्य है कि वह वीडियो लीक करके अदालत की अवमानना करने वालों को पकड़ कर दिखाएं.

संदीप गोयल का कार्यकाल-
संदीप गोयल के जेल के कार्यकाल के दौरान सामने आए अनेक संगीन मामले ही उनकी काबिलियत पर सवालिया निशान लगाने के लिए पर्याप्त थे। ऐसे मामलों की एक बानगी पेश है।

जेल में बैठ कर 200 करोड़ ठगे-
रोहिणी जेल में बंद बेंगलुरु के सुकेश चंद्रशेखर ने जेल में बैठे बैठे फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह की पत्नी अदिति सिंह के साथ ठगी कर 200 करोड़ रुपए ठग/वसूल लिए। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गिरफ्तार शिविंदर सिंह को जमानत दिलाने में मदद के नाम पर रकम वसूली।

जेल अफसरों ने करोड़ों वसूले-
सुकेश जेल में ऐशोआराम का जीवन बिताने और सुविधाओं के लिए जेल के अफसरों को 1-2 करोड़ रुपए हर महीने देता था।
जेल के अफसरों ने ना सिर्फ सुकेश को ऐशो-आराम वाली सुविधाएं मुहैया कराईं, बल्कि जेल बैरक में ऐसा इंतजाम किया, जहां वह सीसीटीवी की नजर मेंं भी न आए।

80 अफसरों की सांठगांठ-
जेल के अस्सी से ज्यादा अफसरों के खिलाफ इस सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
तिहाड़ में आतंकियों,बदमाशों,रईसों की बल्ले-बल्ले।
सबसे खतरनाक और चौंकाने वाली बात यह है कि दूसरे राज्यों की जेलों में बंद बदमाशों को तिहाड़ जेल की “मेहमान नवाजी” और ऐशो आराम की “सुविधाएं” इतनी पसंद आ रही हैं कि वे इस जेल में ही आने के लिए अपराध तक कर रहे हैं।
स्पेशल सेल और अपराध शाखा के अफसरों का कहना हैं कि सरगना तिहाड़ जेल से ही गिरोह चला रहे हैं। मोबाइल फोन के जरिए वह जेल में बैठे लगातार अपने गिरोहों के संपर्क में रहते हैं। वहीं से जबरन वसूली/रंगदारी, भाड़े पर हत्या और अपने दुश्मनों को ठिकाने लगवा रहे हैं।

जेल अफसरों की भूमिका पर सवाल-
पुलिस अफसरों का यह कहना ही तिहाड़ जेल के तत्कालीन महानिदेशक संदीप गोयल, सुपरिटेंडेंटो / जेलरों आदि की भूमिका और काबिलियत पर सवालिया निशान लगाने के लिए पर्याप्त है।

बदमाशों की पसंदीदा जेल-
तिहाड़ जेल को अतिसुरक्षित जेल कहा जाता है लेकिन जेल के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने जेल को बदमाशों के लिए अतिसुरक्षित, ऐशो आराम की सुविधाओं से सम्पन्न पसंदीदा जेल बना दिया है। बदमाशों को मोबाइल फोन के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाती हैं। जेल में होने के कारण इन बदमाशों की जान अपने दुश्मनों से भी सुरक्षित रहती है। क्योंकि जेल से बाहर होने पर तो इन बदमाशों को अपने दुश्मन गिरोहों से जान का खतरा बना रहता। पुलिस और दुश्मनों से अपनी जान बचाने के लिए लगातार भागना-छिपना पड़ता है। जेल में वह आराम से अपना समय बिताने के साथ-साथ बेखौफ होकर वहीं से अपने गिरोहों को चलाते हैं।

तिहाड़ जाने के लिए अपराध-
दूसरे राज्यों की जेलों में बंद बदमाश पसंदीदा
तिहाड़ जेल में आने के लिए दिल्ली में अपराध तक करवा रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने कुछ समय पहले रंगदारी के लिए गोलियां चलाने वाले गुरुग्राम के कौशल गिरोह के बदमाशों को पकड़ा। इन बदमाशों ने बताया कि हिसार जेल में बंद कौशल तिहाड़ जेल में आने के लिए दिल्ली में वारदात करवा रहा है। कौशल तिहाड़ पहुंचने के अपने इरादे में कामयाब हो गया।

आतंकवादी के पास मोबाइल-
25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में जिलेटिन मिलने के बाद आतंकी गिरोह जैश उल हिंद ने जिलेटिन रखने का दावा किया था। हालांकि कुछ घंटे बाद जैश उल हिंद के नाम से एक और मैसेज आया और दावा किया कि उनके संगठन के नाम से भेजा गया मैसेज फर्जी है।

तिहाड़ जेल कनेक्शन-
11 मार्च 2021 को मुंबई पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापा मारा और वहां से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तहसीन अख्तर के पास से कुछ मोबाइल जब्त किए। इन्हीं मोबाइल में से किसी एक से जैश उल हिंद वाला मैसेज किया गया था। हालांकि जैश उल हिंद वाली गुत्थी अभी तक सुलझी नहीं है। ।

संजय चंद्रा से सांठगांठ-
सुप्रीम कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2021 को तिहाड़ जेल के अनेक अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। जेल के अफसरों की सांठगांठ से यूनिटेक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ मे बंद संजय और अजय चंद्रा जेल के भीतर से ही जांच को प्रभावित करने के साथ ही अपना कारोबार भी चला रहे थे। यह पता चलने पर अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने संजय और अजय चंद्रा को मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल में अलग-अलग रखने के लिए स्थानांतरित कर दिया था।

(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)

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