महागठबंधन में बने हैं ये राजनीतिक समीकरण

जदयू के पास अपने 45 विधायक हैं और एक निर्दलीय विधायक का उसे समर्थन प्राप्त है जबकि राजद के पास 79 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 19 जबकि भाकपा-माले के 12 विधायक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो-दो विधायकों ने भी उन्हें समर्थन के पत्र दिए हैं. हिंदुस्तानी अवाम मोर्च के चार विधायक भी कुमार के साथ हैं. जदयू पांच साल पहले यानी 2017 में महागठबंधन से अलग हुआ था.

नीतीश से गृह विभाग मांग सकता है राजद

सूत्रों ने कहा कि जद (यू) और राजद द्वारा फिर से बनाए गए महागठबंधन के एक घटक के रूप में बिहार में कांग्रेस ने भी वापसी की है. कांग्रेस नीतीश की कैबिनेट में चार मंत्रीपद मांग सकती है. राजद के तेजस्वी प्रसाद यादव जाहिर तौर पर अपनी पार्टी के लिए गृह विभाग चाहते हैं, जिसे सीएम नीतीश कुमार ने हमेशा बरकरार रखा है. राजद के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी की नजर विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी है.

कांग्रेस के ये नेता भी बन सकते हैं नीतीश कैबिनेट में मंत्री

इससे पहले 2015 में महागठबंधन में, कांग्रेस के पास 27 विधायकों नीतीश के साथ थे और चार कैबिनेट मंत्री भी बनी है. पार्टी के पास वर्तमान में 19 विधायक हैं, इसलिए प्रत्येक छह विधायकों के लिए एक कैबिनेट पद के समान फॉर्मूले को लागू करने से उसे प्रभावी रूप से तीन कैबिनेट पद मिल सकते हैं, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा, सीएलपी नेता अजीत शर्मा और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी विजय शंकर दुबे दौड़ में हैं.”कांग्रेस के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि एक ओबीसी मंत्री का भी दबाव है और राजेश राम को दलित कोटे से कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की उम्मीद है.’

दो उपमुख्यमंत्रियों की मांग तेजस्वी ने की खारिज

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ नीतीश की बातचीत से एक दिन पहले, पार्टी के दो डिप्टी सीएम के लिए दबाव बनाने की बात थी – एक राजद से और दूसरा कांग्रेस से. सूत्रों ने कहा कि तेजस्वी ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.