चिकन सैंडविच, राहुल और हार्दिक

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त्रिदीब रमण 
त्रिदीब रमण

त्रिदीब रमण 
’अगर तू मुझसे खफ़ा न होता, तेरे अफ़सानों में जिक्र मेरा न होता
तेरे आइने में कैद मेरा भी एक चेहरा था, अगर यूं टूटा न होता’
आज की दौर की सियासत ने नायक और प्रतिनायक के महीन फासले को कम कर दिया है, नायक के चारण गान की परिपाटी भले ही एक दल विशेष की धाती हो, पर कांग्रेस में यह परिपाटी टूटी है। सूत्रों के हवाले से मालूम चला है कि उदयपुर चिंतन शिविर में शामिल होने से पहले जब राहुल गांधी गुजरात गए थे, तो अहमदाबाद स्थित उनके शानदार होटल में मिलने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल पहुंचे थे। कहते हैं पटेल राहुल के लिए अपने घर में तैयार हुआ खास गुजराती व्यंजन साथ लेकर गए थे, जो जाहिर तौर पर शाकाहारी था। पर हार्दिक की संगत में भी राहुल ने गुजराती व्यंजन की जगह होटल के रेस्टोरेंट से आर्डर कर चिकन सैंडविच का लुत्फ उठाना ज्यादा मुनासिब समझा। हार्दिक को इस बात का बुरा लगा। इसके बाद हार्दिक ने उन सौ-सवा सौ प्रभावशाली गुजराती लोगों की लिस्ट राहुल को सौंपी जिनसे वे उनको मिलवाना चाहते थे। पर राहुल ने इन लोगों से मिलने में अनिच्छा जताते हुए कहा कि ’वे अभी आराम के मूड में हैं और कल ही उन्हें वापिस दिल्ली लौट आना है, सो इस बार इन लोगों से मुलाकात संभव नहीं हो पाएगी। अगर आपको इन लोगों से मिलवाना ही है तो आप इन्हें दिल्ली लेकर आ जाओ।’ हार्दिक को यह बात नागवार गुजरी, होटल के कमरे से बाहर निकल कर उन्होंने गुस्से में अपने कुछ भरोसेमंदों से कह दिया-’अगर हमारा नेता जिम और मसाजरूम से बाहर ही नहीं निकलना चाहता तो कांग्रेस को बस भगवान ही बचा सकता है।’ हार्दिक की यह तल्ख टिप्पणी उड़ते-उड़ाते राहुल के कानों तक जा पहुंची। वे तमतमा गए। दिल्ली पहुंच कर उन्होंने अपनी मां से हार्दिक की शिकायत लगाते हुए कहा-’ये बंदा बहुत बदतमीज है, इसे हम उदयपुर नहीं बुलाएंगे।’ सोनिया ने राहुल को समझाना चाहा कि ’कोई भी पार्टी उसके संविधान के हिसाब से चलती है, हम इसमें मनमाने फैसले नहीं ले सकते।’ पर जब सोनिया के समझाने पर भी राहुल अडिग रहे तो आनन-फानन में यह फैसला लिया गया कि उदयपुर चिंतन शिवर में किसी भी कार्यकारी अध्यक्ष को नहीं बुलाया जाएगा। पर हाईकमान के इस फैसले की सर्वत्र आलोचना होनी शुरू हो गई। पार्टी में बढ़ते असंतोष को देखते हुए सोनिया गांधी ने अब फैसला लिया है कि ’बहुत जल्द पार्टी का मिनी चिंतन शिविर लगाया जाएगा, जिसमें कांग्रेस शासित प्रदेशों राजस्थान व छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र व झारखंड से भी राज्य सरकार के मंत्रियों, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गण, कार्यकारी अध्यक्षों समेत 120 नेताओं को इस मिनी शिविर में आमंत्रित किया जाएगा।’ चलो, देर आए दुरूस्त आए।
राहुल चले लंदन
उदयपुर चिंतन शिविर खत्म होने के तुरंत बाद कांग्रेस के देदीप्यमान नक्षत्र राहुल गांधी ने लंदन की ठौर पकड़ ली है। वे यूके स्थित थिंकटैंक ’ब्रिज इंडिया’ के आमंत्रण पर लंदन गए हैं, जहां वे ’आइडियाज फॉर इंडिया’ कांफ्रेंस में हिस्सा लेने वाले हैं, इसके साथ राहुल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भी अपना उद्बोधन दिया है। पर हैरत की बात यह कि पहले ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राहुल को एकल वक्ता के तौर पर बुलाया जाता है, पर इस बार ’आइडियाज फॉर इंडिया’ में बोलने वाले वक्ताओं की सूची काफी लंबी है। कांग्रेस से सलमान खुर्शीद, सैम पित्रौदा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, राजद के अध्यक्ष तेजस्वी यादव और इसी पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा, टीएमसी की तेजतर्रार सांसद महुआ मोइत्रा तथा टीआरएस के केटी रामाराव भी इस कांफ्रेंस में बोलने वाले हैं। वहीं कैंब्रिज में बोलने वाले राहुल भारत से इस बार इकलौते वक्ता थे।
प्रमोद कृष्णम से नाराज़ प्रियंका
कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में तब एक बार सबको सन्निपात मार गश, जब यूं अचानक यूपी के कांग्रेसी नेता प्रमोद कृष्णम ने बुलंद आवाज में प्रियंका गांधी को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाने की मांग कर दी। यह मांग इतनी असहज करने वाली थी कि प्रियंका ने फौरन अपने बगलगीर दीपेंद्र हुड्डा को आंखों से इशारा कर दिया। दीपेंद्र ने आचार्य प्रमोद को चुप कराते हुए कहा कि ’हम लोग कोई नहीं होते पार्टी के अध्यक्ष का नाम तय करने वाले, यह फैसला आप पार्टी और परिवार पर छोड़ दीजिए।’ इसके बाद आचार्य प्रमोद को डपटने की बारी मल्लिकार्जुन खड़गे की थी, जिन्होंने किंचित ऊंची आवाज में आचार्य को डांट लगाते हुए कहा-’आप चुप रहिए, यह तय करना आपका काम नहीं और ना ही यह ऐसा कोई मुद्दा उठाने वाला फोरम है।’ मीटिंग खत्म होने के बाद आचार्य प्रमोद सचिन पायलट को साथ लेकर प्रियंका से मिलने पहुंचे, आचार्य प्रमोद को सामने पाकर प्रिंयका अपने आवेश पर काबू नहीं रख पाईं, उन्होंने आचार्य को डपटते हुए तेज लहजे में कहा-’आप अपने को सुधार लीजिए और आप परिवार में झगड़ा लगाने की कोशिश भी न करें।’ इसके बाद प्रियंका के गुस्से का गुबार और तेजी से फूट पड़ा, उन्होंने सख्त लहजे में कहा-’आप बाहर यह प्रचारित करने की कोशिश करते हैं कि आप मेरे राजनैतिक सलाहकार हैं, आज आप बताइए कि मैं आपके कितने मैसेज का जवाब देती हूं?’ आचार्य प्रमोद कृष्णम को तो जैसे सांप ही सूंघ गया हो, सचिन पायलट ने किसी भांति प्रियंका के गुस्से को ठंडा करवाया।
आजम भाजपा को ऐसे हुए हजम
लगातार 27 महीने जेल के सलाखों के पीछे गुजारने वाले आजम खां को यूं अचानक कैसे 89 में से 88 मामलों में फौरी राहत मिल गई? ये वही आजम खान हैं जो सदैव से भाजपा के निशाने पर रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो आजम को राहत दिलवाने में बरेली के एक शिक्षा व्यवसायी की प्रमुख भूमिका रही, ये जनाब पूर्व में बरेली के मेयर भी रह चुके हैं। इस व्यवसायी के घर एक रोज चुपचाप आजम खान के पुत्र और उनकी पत्नी आ धमकती हैं, जहां इनकी मुलाकात यूपी भाजपा के एक सबसे सशक्त महासचिव से होती है। वहीं डील पक्की होती है कि ’भाजपा जब चाहे आजम की मदद अखिलेश को कमजोर करने में ले सकती है, जरूरत पड़ी तो आजम को मुसलमानों की एक नई राजनैतिक पार्टी भी बनानी पड़ सकती है।’ इसके बाद इस महासचिव ने वहीं से फोन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की, योगी ने भी साफ कर दिया कि ’अगर आजम की कोई मदद हो जाती है तो उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं।’ पर आपत्ति के स्वर सुनाई दिए योगी के प्रखर विरोधी और उनके ही कैबिनेट मंत्री केशव प्रसाद मौर्य की ओर से, जिन्होंने आनन-फानन में बयान देकर कहा कि ’वे आजम खान की रिहाई का विरोध करेंगे और वह इसे जनता के बीच लेकर जाएंगे।’ कहते हैं इसके बाद मौर्य को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कड़ी फटकार लगाई गई और उनसे कहा गया कि ’वे हर वक्त योगी को डैमेज करने की कोशिश न करें, योगी से अब उनका कोई मुकाबला नहीं है, वे कहीं बहुत आगे निकल चुके हैं।’


अनुराग की पार्टी कैंसिल
’कान फिल्म फेस्टिवल’ में शामिल होने के लिए केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर जब फ्रांस पहुंचे तो वे एक बड़े इरादे के साथ वहां पहुंचे थे कि भारत को कैसे एक ग्लोबल कंटेंट हब के रूप में पेश किया जाए। भारत की ओर से कई नामचीन बॉलीवुड हस्तियां मसलन ए आर रहमान, माधवन, दीपिका पादुकोण, तमन्ना भाटिया, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, पूजा हेगड़े भी वहां मंत्री जी के कदम से कदम मिला रही थीं। मंत्री जी के रहने की व्यवस्था सरकार की ओर से वहां के एक आलीशान होटल में की गई थी। मंत्री के ठहरने के लिए बकायदा एक सुइट बुक किया गया था। पर मंत्री जी को अपने लिए वह सुइट छोटा लग रहा था, वे अपने लिए होटल का वह आलीशान प्रेंसिडेंशियल सुइट चाहते थे जहां वे रात में एक बड़ी पार्टी ‘थ्रो’ कर सकें जिसमें वे ‘कान‘ गए तमाम फिल्मी सितारों को उस पार्टी में बुला सकें। पर जैसे ही इस बात की भनक पीएमओ को लगी, पीएमओ ने मंत्री जी को ऐसी कोई पार्टी थ्रो करने से मना कर दिया और कहा ’जाहिर है आपकी पार्टी में षराब भी परोसी जाएगी और ये फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो सकती है।’ इसके बाद मंत्री जी ने फौरन ऐसी किसी पार्टी का आइडिया ड्रॉप कर दिया। सनद रहे कि कुछ दिनों पहले ही नेपाल के एक पब ’लार्ड ऑफ ड्रिंक्स’ में राहुल गांधी की मौजदूगी को लेकर खासा बवाल कट चुका है। अभी हाल में ही पुणे के एक पब में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाष जावड़ेकर की शैंपेन के साथ फोटो वायरल हो गई थी जो भाजपा के लिए अभी भी सिर दर्द बनी हुई है।
हेमंत बिस्वा की तूती
भाजपा में इन दिनों असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की तूती बोल रही है। पिछले दिनों मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा पीएम मोदी से मिलने की आस लिए दिल्ली पधारे पर किसी कारणवश यह मुलाकात नहीं हो पाई। फिर उन्होंने सरकार के नंबर दो अमित षाह से मिलने की गुहार लगाई, पर तब शाह भी व्यस्त थे, बस फोन पर बात हो पाई। उसी दौरान सिक्किम के सीएम प्रेम सिंह तमांग भी पीएम से मिलने की आस लिए दिल्ली आ गए, पर उनकी मुलाकात भी न पीएम से हो पाई और न ही गृह मंत्री से। इसके बाद इन्होंने भी अपना दर्द फोन पर गृह मंत्री के समक्ष बयां किया। इसके बाद शाह ने नार्थ ईस्ट के तमाम मुख्यमंत्रियों के लिए एक व्यवस्था बहाल की है कि हेमंत बिस्वा सरमा हर दो हफ्ते में नार्थ ईस्ट के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे और उनकी मांगों और भावनाओं से दिल्ली को अवगत करा देंगे, तब से बिस्वा सरमा को नार्थ ईस्ट का ‘सुपर सीएम’ कहा जाने लगा है।
…और अंत में
आजम खान भले ही अखिलेश यादव से अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हों और अन्य दूसरे दलों में भी अपनी संभावनाएं तलाश रहे हों या किसी नए दल की आहटों को तराश रह हों, पर वे अखिलेश से यह भी चाहते हैं कि ’वे उनके ‘फ्री’ के वकील कपिल सिब्बल को समाजवादी पार्टी के टिकट पर छह साल के लिए राज्यसभा भेजें।’ सनद रहे कि यूपी से राज्यसभा की 11 सीटें खाली हो रही हैं, जिसमें से 7 सीटें भाजपा को मिल सकती है और 3 सीटें सपा के पाले में आ सकती हैं। कपिल सिब्बल कांग्रेस के बागी गुट जी-23 के एक अहम मेंबर हैं, इस नाते उन्हें कांग्रेस से शायद ही इस बात की कोई उम्मीद है कि पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजें, सो उन्होंने बकायदा अपने तार झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी जोड़ रखे हैं। पर माना जा रहा है कि अखिलेश सिब्बल को 6 साल के लिए राज्यसभा में भेजने को तैयार हो गए हैं। (एनटीआई-gossipugru.in)

 

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