यूएनजीए में भारत ने की मांगः नए स्थायी सदस्यों को भी दिया जाए वीटो का अधिकार

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समग्र समाचार सेवा

न्यूयॉर्क, 27 अप्रैल। वीटो के उपयोग के मामले में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए स्थायी जनादेश पर संकल्प में भारत ने अपना नजरिया दुनिया के सामने रखा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर रवींद्र ने कहा कि वीटो का उपयोग करने का विशेषाधिकार केवल पांच सदस्य देशों को दिया गया है। यूएनजीए इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है, क्योंकि प्रभावी रूप से पी-5 के पास वीटो है। सभी 5 स्थायी सदस्यों ने अपने-अपने राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पिछले 75 वर्षों में वीटो का उपयोग किया है।

भारत ने सुनाई खरी-खरी

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हमारे अफ्रीकी भाइयों और बहनों द्वारा कहा जाता है, यह देशों की संप्रभु समानता की अवधारणा के खिलाफ है और द्वितीय विश्व युद्ध की मानसिकता को कायम रखता है। या तो मतदान के अधिकार के संदर्भ में सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए या फिर नए स्थायी सदस्यों को भी वीटो का अधिकार दिया जाना चाहिए।’ आर रवींद्र ने कहा कि इस संबंध में मुझे हमारे अफ्रीकी भाइयों और बहनों ने आईजीएन में बार-बार कहा है। सैद्धांतिक रूप में वीटो को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, सामान्य न्याय के मामले के रूप में इसे नए स्थायी सदस्यों तक बढ़ाया जाना चाहिए जब तक कि यह अस्तित्व में रहता है।

यरूशलम में हो रही घटनाओं से भारत चिंतित

बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई हिंसा का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई घटनाओं से हम बहुत चिंतित हैं। यरूशलम की ऐतिहासिक यथास्थिति का सम्मान किया जाना चाहिए। इसे बरकरार रखा जाना चाहिए। आर रवींद्र ने कहा कि रुकावट और बर्बरता के सभी कार्य जो पवित्र स्थानों की पवित्रता का उल्लंघन करते हैं, चाहे वह यरूशलेम में हो या कहीं और हो, इसकी स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए। हम शांति बहाल करने के सभी स्टेप का समर्थन करते हैं।

सीरिया में हो रहे सीजफायर उल्लंघन का मामला भी उठाया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने सीरिया में हो रहे सीजफायर उल्लंघन का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘सीरिया में एक व्यापक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम की दिशा में वास्तव में गंभीर प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है… हम मानते हैं कि इसके लिए विदेशी बलों की वापसी जरूरी है।

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