पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों के लिए श्मशान बनता जम्मू कश्मीर

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पुलवामा आतंकी आत्मघाती हमले के बाद सुरक्षा बलों के टारगेटेड ऐक्शन में अबतक तीन दर्जन जैश कमांडर ढेर, सैकड़ों हिरासत में **
नयी दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों के टारगेटेड ऐक्शन में अब तक जैश-ए-मोहम्मद के दर्जनों कई टॉप कमांडर समेत अब-तक तीन दर्जन से भी अधिक आतंकी मार गिराए गए। सूत्रों के अनुसार सोमवार को बताया कि इस साल जम्मू और कश्मीर में 166 आतंकी मारे गए। इनमें से 27 आतंकी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन से ताल्लुक रखते थे। 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद 19 पाकिस्तानी आतंकियों को भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। 
 पुलवामा हमले के 45 दिनों के भीतर तकनीकी और मानवीय खुफिया इनपुट पर आधारित ऑपरेशनों में हमले में शामिल जैश के सभी आतंकियों जो जेके में सक्रिय थे सबको मार गिराया गया। पुलवामा हमले में जैश के चार आतंकवादी सीधे तौर पर शामिल थे, जिन्हें मार गिराया गया वहीं, चार अन्य को अलग-अलग ऑपरेशनों में गिरफ्तार किया गया। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कथित जिहाद को लेकर अलग नैरेटिव सेट करना चाहता है।
मारे गए आतंकियों में कामरान (18 फरवरी), मुशशिर अहमद खान (11 मार्च) और सज्जाद भट्ट (11 मार्च) शामिल हैं। आतंकी हमले में भूमिका के लिए दो आतंकी- निसार अहमद तांत्री और सज्जाद NIA की हिरासत में हैं। 14 फरवरी को जैश द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा बलों को दी गयी खुली छूट का असर दिखने लगा है। जेके की भूमि आतंकियों के लिए श्मसान बन गया है। लगभग सभी आतंकी अंडरग्राउंड हो गए हैं। उधर खबरियों से भी इतनी सटीक खबरे और उनकी तैनाती की सूचनाओं का आवक बढ़ गया है। इससे भी आतंकियों के लिए पनाह और छिपना संकट बन गया है।  पुष्ट सूत्रों के अनुसार पिछले दो माह के दौरान घाटी से करीब एक हजार युवकों को पूछताछ के लिए अंडरग्राउंड कर दिया गया है। जिससे ढेरों सूचनाएं और गतिविधियों का खुलासा हुआ है। आतंकियों के लिए पनाह का संकट ही सबसे मुश्किल हो गया है, जिससे उनके लिए पैर जमाना और लोकल युवकों को जोड़ना सबसे घातक हो गया है। इसमें शक नहीं है कि जेके इन दिनों शांत है, क्योंकि इसबार जनता और आम नागरिक उनके खिलाफ अशांत है। ।।।।।

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