नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को स्वेच्छा से चुनाव न लड़ने का ऐलान करने के लिए मजबूर करने वाले फरमान को वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने ठुकरा दिया है। भाजपा सुप्रीमो और प्रधानमंत्री के जबरन सुझाव को मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे चुनाव न लड़ने का ऐलान नहीं करेंगे। श्री जोशी अपने संसदीय क्षेत्र कानपुर के वोटरों को पत्र लिखकर कहा कि बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने ही उनसे चुनाव नहीं लड़ने को कहा था।
पार्टी द्वारा टिकट न देने के फैसले को लेकर बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने मुरली मनोहर जोशी से मुलाक़ात की थी। रामलाल ने जोशी को बताया कि पार्टी ने फैसला किया है कि आपको लोकसभा चुनाव नहीं लड़वाया जाए। इसके साथ ही रामलाल ने उनसे कहा कि पार्टी चाहती है कि आप पार्टी ऑफिस में आकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करें। लेकिन जोशी ने ऐसा करने से मना कर दिया। सूत्रों ने बताया कि रामलाल के इस सुझाव पर श्री जोशी बिफर गए। उन्होंने दो टूक शब्दों में ऐसा करने से मना कर दिया। चुनाव टिकट देना या न देना पार्टी का काम है, जो हो चुका है। मगर मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं पर किसी का गुलाम नहीं कि कोई आदमी मुझसे जोर जबरदस्ती जो चाहे मनमर्जी करवा लें
हिमाचल प्रदेश के दिग्गज नेता शांता कुमार ने भी टिकट कटने पर खामोशी ओढ ली है। इनकी चुप्पी से ही एक लेक बडा वर्ग भाजपा से बिदक सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे शाहनवाज हुसैन को इस बार भागलपुर सीट से टिकट नहीं दिया गया। भाजपा के लिए दुर्लभ मुस्लिम चेहरा होने के बावजूद यह सलूक? तर्क और वज़ह चाहे कुछ भी हो शाहनवाज हुसैन का मलीन चेहरे पर निराश के भाव से पब्लिक सब जान चुकी है। भाजपा के दबंग सांसद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अचानक नवादा संसदीय सीट से बदलकर बेगुसराय करने से अवाक हैं। अपनी उपेक्षा को जलालत मान रहे अपनी वाचालता के लिए कुख्यात गिरिराज कई दिनों के बाद भी सदमे में हैं। यही हाल बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी है। पिछले पांच साल से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपेक्षा अनदेखी को बर्दाश्त कर रहे थे। मगर अब तो उपेक्षा की इंतिहा हो गयी है। देखना है कि इन सबको देख सुन और बर्दाश्त कर रही पब्लिक जनता जिसे वोटर भी कहा जाता है किस किस को सबक सीखा कर किसको ताज देकर किसको बेताज करेगी ?