भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटा/ अमित शाह लड़ेंगे गांधीनगर से /

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समग्र समाचार सेवा

नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव का शतरंजी बिसात बिछ चुकी है। भाजपा ने आज पहली सूची जारी करके ऐलान-ए-जंग कर दिया है।  लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। बीजेपी ने पहली लिस्ट में देश की 184 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से ही चुनाव लड़ेंगे. गृहमंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से तथा स्मृति ईरानी राहुल गांधी को अमेठी सीट पर टक्कर देंगी। मगर भाजपा के वरिष्ठतम दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को इस बार टिकट से वंचित कर दिया गया है। उनकी जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गांधीनगर से उम्मीदवार बनाए गए हैं। 
भाजपा की पहली सूची में उत्तर-प्रदेश के लिए 28, महाराष्ट्र 16, अंडमान 1, असम 8, आंध्र प्रदेश 2, छत्तीसगढ़ 5, दादर नागर हवेली 1, जम्मू एण्ड कश्मीर 5, कर्नाटक 21, केरल 13, लक्ष्यद्वीप व मणिपुर 1-1, मिजोरम 2, ओडिशा 10, राजस्थान 16, सिक्किम 1, तमिलनाडु 5, तेलंगाना 10, त्रिपुरा 2, उत्तराखंड 5, पश्चिम बंगाल 28, अरुणाचल-प्रदेश 2 व गुजरात के लिए केवल एक उम्मीदवार की घोषणा की गयी है।उल्लेखनीय है कि बिहार में भाजपा  के 17 प्रत्याशियों के नाम भी फाईनल हो चुका है, मगर एनडीए गठबंधन की वजह से बिहार के 17 उम्मीदवारों की घोषणा जेडीयू और लोजपा के साथ किया जाएगा। बिहार के 40 संसदीय सीटों के लिए भाजपा और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। रामविलास पासवान की लोजपा को छह सीट दिए गए हैं। रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए  से अलग हो गए तो लोजपा को अपेक्षा से अधिक छह सीटें मिल गयी है। लोजपा तो चार सीटों से ही संतुष्ट थी। 
सबसे अहम प्रसंग है कि  बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस बार गुजरात की गांधी नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। गांधीनगर से अमित शाह पांच बार विधायक रह चुके हैं। करीब 91 साल के आडवाणी को इस बार टिकट नहीं देने के साथ ही उनकी पारी खत्म भी घोषित कर दी गयी है। अब पार्टी ने आडवाणी के लोकसभा क्षेत्र से अमित शाह को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा सुप्रीमो शाह एक तरह से अपना कार्यभार संभालने का ऐलान कर दिया है। सबको पता है कि लालकृष्ण आडवाणी को पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी से साइडलाइन किया जा रहा है। पिछले चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का विरोध किया था। इसके बाद आडवाणी को पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया। वहीं आडवाणी ने भी पिछले सालों में राजनीति से दूर ही रहे। इस बात की संभावना है कि वे  इस बार वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह सीधे तौर पर उनके राजनीति से संन्यास का संकेत माना जा रहा है। ।।

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