अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली / लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में चुनावी सफलता का मास्टर की इस बार यूपी के त्रिवेणी त्रिदेव सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो मायावती और रालोद मुखिया अजीत सिंह के पास मुट्ठी में बंद हैं । पिछले चुनाव में यही की भाजपा सुप्रीमो अमित शाह के पास थी। 73/80 की अविस्मरणीय और अविश्वसनीय जीत ने राष्ट्रीय राजनीति में एक ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को देश का सुपर स्टार के साथ साथ चाणक्य भी बना दिया था। मगर पांच साल के बाद भाजपा की बंपर् सफलता के सामने यूपी के अमर अक़बर एंथोनी हिमालय पहाड की तरह खड़े हो गए हैं। जिसके सामने भाजपा के चाणक्य भी काट खोदते खोदते अपने सांसदों के टिकट काटने में सूरमा बनते बनते कालीदास की भूमिका में आ गए हैं। उधर सहारनपुर के देवबंद में सात अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह की आमचुनाव 2019 की पहली संयुक्त रैली होने जा रही है। जिसको सफल बनाने के लिए हजारों कार्यकर्ताओं ने कमर कस कर जोरदार तैयारियां आरंभ कर दी है। इसी कड़ी में आज़ देवबंद पहुंचे बसपा नेताओं ने कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर रैली स्थलों का निरीक्षण करके कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया।
बसपा नेता एवं नगरपालिका के चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी ने बताया कि मंडल कोआर्डिनेटर नरेश गौतम और जनेश्वर प्रसाद आदि नेताओं ने नगर में चार जगहों का निरीक्षण किया है। फाइनल रैली स्थल रविवार को पश्चिम प्रभारी शम्सुद्दीन राईन के आने के बाद ही तय किया जाएगा। रैली में करीब पांच लाख की अपार भीड़ जुटाने के लिए नेताओं को उनकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। देवबंद हिंदू-मुस्लिम एकता की नगरी के नाम से जानी जाती है। उदारवादी मुस्लिम विद्वानों की नगरी देवबंद का पूरे देश में सम्मान है। इसीलिए सपा बसपा और रालोद ने एक साथ यहीं से अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत करने का मन बनाया है। इसी के साथ पूर्वी यूपी में कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा के बूते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने पर आमादा है तो पश्चिमी यूपी में माया अजीत और अखिलेश की तिकड़ी ग़दर मचाने की रणनीति पर काम कर रही है, और चाहती है कि वेस्ट यूपी में भाजपा के लिए संकटग्रस्त कर दिया जाए । साथ ही देवबंद में रैली करने से इसका संदेश पूरे देश में जाएगा, और मुस्लिम समुदाय को लामबंद करने में मददगार साबित होगी। मुस्लिम दलित यादव और जाट बहुल मतदाताओं के भरोसे ही तो मायावती और अखिलेश में एकता बनी है। इसमें अजीत सिंह का जाट और किसान का तडका भाजपा के स्वाद को कडवा कर सकती हैं। यही इस बार चुनावी संघर्ष का मुख्य आकर्षण है। जिसके गठबंधन से भाजपा के चाणक्य समेत मुख्यमंत्री योगी का चेहरा भी रोगी सा दिख रहा है। यूपी में त्रिदेव का त्रिकोणीय त्रिशूल अगर सही निशाने पर लग गया तो प्रधानमंत्री मोदी के लिए दोबारा ताज पाना कठिन भी हो सकता है।।।