चुनाव आयोग के फरमान से मध्यप्रदेश सरकार सांसत में, हजारों कर्मियों का तबादला सुनिश्चित

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अनामी शरण बबल

चुनाव आयोग का निर्देश : मध्‍यप्रदेश में तीन साल से एक जगह पदस्थ अफसरों को 28 फरवरी तक हटाएं
** 31 मई 2019 को तीन साल पूरे करने वाले अधिकारी भी  इस दायरे में आएंगे
नयी दिल्ली/ भोपाल। मध्यप्रदेश  में तीन साल से एक जगह पर पदस्थ सूबे के सभी कलेक्टर से लेकर नायब तहसीलदार और पुलिस अधीक्षक से लेकर सब इंस्पेक्टर स्तर तक के अधिकारी हटाए जाएंगे। चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को 28 फरवरी 2019 तक यह कार्रवाई पूरे कराने के आदेश दिए हैं। इस दायरे में 31 मई 2019 को तीन साल पूरा करने वाले अफसर आएंगे। साथ ही वे अधिकारी भी बदले जाएंगे, जिन्होंने अगस्त 2017 के पहले हुए चुनाव में सीधी भूमिका निभाई हो।
चुनाव आयोग के प्रमुख सचिव नरेंद्र एन. बुटोलिया ने पिछले सप्ताह मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रशासनिक जमावड़े को लेकर यह दिशा-निर्देश दिए। इसमें कहा गया कि कोई भी ऐसा अधिकारी मैदानी पदस्थापना में न रखा जाए, जिसे चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाया गया हो या जिस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई हो।
चार साल की अवधि में तीन साल से एक स्थान पर काम कर रहे जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सहायक रिटर्निंग ऑफिसर, अतिरिक्त कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आईजी, डीआईजी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, थानेदार, रक्षित निरीक्षक और सहायक उप निरीक्षक को बदला जाएगा।
पुलिस विभाग की विशेष शाखा, प्रशिक्षण और कम्प्यूटराइजेशन के काम में लगे अधिकारी भी आयोग के प्रावधान के दायरे में आएंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में पदस्थ समस्त अधिकारी को भी बदला जाएगा।मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया है कि  समस्त विभागों को यह कार्रवाई 28 फरवरी तक हर हालत में पूरी करनी होगी। मार्च के पहले सप्ताह में इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग ने मांगी है। 

छोटा जिला हो तो दूसरे में करें तबादला। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि यदि उप निरीक्षक तीन साल से एक ही जगह पदस्थ हैं तो उसे दूसरे सब डिवीजन में पदस्थ किया जाए। यह सब डिवीजन उस विधानसभा क्षेत्र का नहीं होना चाहिए, जहां वह पहले कभी पदस्थ रहा हो। ऐसी सूरत में यदि जिला छोटा है तो फिर उसका दूसरे जिले में तबादला किया जाए। गृह जिले में किसी भी अधिकारी का किसी भी सूरत में पदस्थापना नहीं होनी चाहिए। 
मुख्यालय पर पदस्थ अफसरों पर लागू नहीं होंगे निर्देशमुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि चुनाव आयोग के तबादला संबंधी ताजा निर्देश मुख्यालय में पदस्थ अफसरों पर लागू नहीं होंगे। जिन अधिकारियों को सेक्टर या जोनल मजिस्ट्रेट बनाया गया था, वे भी इस दायरे में नहीं आएंगे। 

मेरा कोई रिश्तेदार चुनाव मैदान में नहीं
नामांकन दाखिल होने के दो दिन बाद चुनाव ड्यूटी में लगे सभी अधिकारियों को घोषणा करनी होगी कि उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ रहा है। इस घोषणा पत्र में यह भी बताना होगा कि उनपर कोई आपराधिक मामला किसी अदालत में लंबित है या नहीं। चुनाव आयोग के इस निर्देश के बाद राज्य के हजारों कर्मचारियों- अधिकारियों के उपर तबादले की तलवार लटक गयी है। उल्लेखनीय है कि मार्च माह में तबादले की सुनिश्चितता रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त आयोग कार्यालय में देनी है। संभव है कि मार्च माह के पहले सप्ताह में चुनाव तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी। साल 2014 में चुनाव तारीखों की घोषणा मार्च माह के पहले सप्ताह में ही की गयी थी। पूरा चुनाव नौ चरणों में संपन्न हुआ था। मालूम हो कि दो जून 2019 को 16 वें लोकसभा की अवधि समाप्त हो जाएंगी। इससे पहले हर हाल में चुनाव की घोषणा करके मतदान  कराने और परिणाम घोषित करके 17 वें  लोकसभा के गठन की पूरी कार्रवाई को नियोजित तरीके से कराने का दायित्व चुनाव आयोग का होता है। आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता लागु हो जाता है। जिसके तहत तबादलों नये निर्माण कार्यों नयी ‌‌‌‌‌‌ योजनाओं की घोषणा आदि पर रोक लगा दी जाती है। जिसके उल्लंघन पर कडी सजा और प्रतिबंध का भी प्रावधान है। 

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