अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली। देश की रक्षा करने के लिए बोर्डर पर अनेकों कठिनाईयों से रूबरु हो रहे सुरक्षा कर्मियों की जान की बड़ी कीमत है। उनको बेकार में खोना एक अपराध है। एक जवान को शहादत से बचाना किसी भी सरकार सेना सुरक्षा प्रबंधन की पहली कोशिश होनी चाहिए। अगर देश में सबकुछ अच्छा हो रहा है और शासन ठीक-ठाक से काम कर ही रही है तो आखिरकार देश के जवान इतनी संख्या में शहीद क्यों हो रहे हैं। जवानों का बडी मात्रा में मारे जाना बेहद चिंताजनक बात है। जिसपर रोक लगाने के लिए सरकार को हर तरह के प्रयास करने की जरुरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सैनिकों की लगातार बढ़ती असुरक्षा पर क्षोभ प्रकट कर रहे थे। सरकार चाहे एनडीए की हो या यूपीए की सेना सैनिकों को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती रही है। मगर पिछले चार साल में कोई युद्ध आतंकी बड़ी घटनाओं भी नही हुआ है इसके बावजूद बोर्डर पर एक से अधिक सैनिक का बलिदान बेहद चिंताजनक है। पिछले चार साल में सीमा और देश के भीतर 1350 से अधिक झड़पों और हिंसक वारदातें में करीब 1700 से अधिक जवानों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी। इसके विपरीत कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चार साल में 1717 वारदातें हुई और शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या 1300 के आसपास ही रही। एनडीए मोदी सरकार को इस पर ध्यान देकर सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा प्रबंधन पर गौर करे। संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में श्री राम लला के लिए विशाल भव्य मंदिर कानिर्माण 2025 तक हो जाना चाहिए। विशाल मंदिर का निर्माण कोई एक दो साल में संभव नहीं है। इसको पांच साल की समय सीमा के भीतर पूर्णता का संकल्प लेना होगा। अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण किस तरह से करानआ संभव हो, सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।