अनामी शरण बबल सपा बसपा गठबंधन के बादv उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर से बातचीत। नयी दिल्ली। एनडीए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को 2019 में सतारूढ़ होने से रोकने के लिए यूपीए के सहयोगी दल आज़ कांग्रेस और यूपीए को ही कमजोर करने में लगे हैं। कांग्रेस को कमजोर समझना सभी विपक्षी दलों की सबसे बड़ी अदूरदर्शिता और कमजोरी है। कांग्रेस इतनी पुरानी पार्टी है कि ज्यादातर दल कांग्रेस से ही निकाल कर बनी और अंत में फिर कांग्रेस में ही समाहित हो गए। यह एक राष्ट्रीय देश की पार्टी है, जो सदैव बनी रहेगी। ज्यादातर विपक्षी दल एक दो लोगों की सक्रियता और जीवन पर निर्भर है। कांग्रेस एक अंत: सलिला फल्गु नदी की तरह है जो उपर से सूखी हुई दिखने के बाद भी इसकी धारा चलती रहती है। मशहूर फिल्म अभिनेता और उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने सपा बसपा गठबंधन के बाद समग्र भारत के लिए लखनऊ से दूरभाष पर बात करते हुए अपनी राय जाहिर की।उत्तरप्रदेश की राजनीति पर फोकस करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि सपा बसपा गठबंधन अपने आपको बचाने के लिए किया गया है। यूपीए गठबंधन में इनको और इनके सपनों को पर्याप्त जगह नही मिलती। अलग चुनाव लड़कर और बेहतर परिणाम मिलने पर ब्लैकमेलिंग की पोलटिक्स करने का यह एक तरीका है। पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी अलग थलग चुनाव लड़ेंगी। 20-25 सांसदों के बूते प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा जा रहा है। बैसाखी पर अपंग अपाहिज प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओ से जनता क्या उम्मीद करेगी? बहुत सारे दलों का जमघट एक दलीय एकता और ताकत बनने की बजाय दल-दल बनकर जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। यूपी के बाद पश्चिम बंगाल में भी एकला चलो की उम्मीदों पर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव लडने के लिए तैयार हैं। अलबत्ता और जो भी पार्टियां मिलकर साथ आना चाहे तो कांग्रेस और यूपीए को कोई दिक्कत नहीं होगी। एनडीए के खिलाफ यूपीए को तो जीवित रखना ही होगा। कांग्रेस समर्थित यूपीए के बगैर देश की राजनीति का कोई अर्थ नहीं है। यूपी में एकला चलो के बाबत पूछे जाने पर श्री बब्बर ने कहा कि कांग्रेस इतनी पुरानी और बड़ी पार्टी है कि इसको कही से भी अकेले लडने में कोई परेशानी नहीं है। गठबंधन के चलते बहुत से अपने इलाकों को छोड़ना पड़ा था। अब फिर से वहां पर जनाधार मजबूत किया जा सकता है। उत्तरप्रदेश के कार्यकर्ताओं में खुशी है कि कांग्रेस अकेले ही चलने का फैसला की है। गठबंधन के बाबत बताया कि बडी और राष्ट्रीय पार्टी होने की अपनी मजबूरी होती है। यूपीए को संगठित करना समर्थित दलों को एकजुट और मजबूत करना और रखना भी कांग्रेस का ही फ़र्ज़ और दायित्व बनता है। इस मामले में कांग्रेस कभी भी पीछे नहीं रही है,। अकेले चुनाव लडने की योजना और रणनीति पर पार्टी काम करने लगी है। फिलहाल तो किंगमेकर बनने वालों की ताकत को देखना ही सबसे दिलचस्प पहलू है।
नयी दिल्ली। एनडीए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को 2019 में सतारूढ़ होने से रोकने के लिए यूपीए के सहयोगी दल आज़ कांग्रेस और यूपीए को ही कमजोर करने में लगे हैं। कांग्रेस को कमजोर समझना सभी विपक्षी दलों की सबसे बड़ी अदूरदर्शिता और कमजोरी है। कांग्रेस इतनी पुरानी पार्टी है कि ज्यादातर दल कांग्रेस से ही निकाल कर बनी और अंत में फिर कांग्रेस में ही समाहित हो गए। यह एक राष्ट्रीय देश की पार्टी है, जो सदैव बनी रहेगी। ज्यादातर विपक्षी दल एक दो लोगों की सक्रियता और जीवन पर निर्भर है। कांग्रेस एक अंत: सलिला फल्गु नदी की तरह है जो उपर से सूखी हुई दिखने के बाद भी इसकी धारा चलती रहती है। मशहूर फिल्म अभिनेता और उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने सपा बसपा गठबंधन के बाद समग्र भारत के लिए लखनऊ से दूरभाष पर बात करते हुए अपनी राय जाहिर की।उत्तरप्रदेश की राजनीति पर फोकस करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि सपा बसपा गठबंधन अपने आपको बचाने के लिए किया गया है। यूपीए गठबंधन में इनको और इनके सपनों को पर्याप्त जगह नही मिलती। अलग चुनाव लड़कर और बेहतर परिणाम मिलने पर ब्लैकमेलिंग की पोलटिक्स करने का यह एक तरीका है। पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी अलग थलग चुनाव लड़ेंगी। 20-25 सांसदों के बूते प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा जा रहा है। बैसाखी पर अपंग अपाहिज प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओ से जनता क्या उम्मीद करेगी? बहुत सारे दलों का जमघट एक दलीय एकता और ताकत बनने की बजाय दल-दल बनकर जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। यूपी के बाद पश्चिम बंगाल में भी एकला चलो की उम्मीदों पर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव लडने के लिए तैयार हैं। अलबत्ता और जो भी पार्टियां मिलकर साथ आना चाहे तो कांग्रेस और यूपीए को कोई दिक्कत नहीं होगी। एनडीए के खिलाफ यूपीए को तो जीवित रखना ही होगा। कांग्रेस समर्थित यूपीए के बगैर देश की राजनीति का कोई अर्थ नहीं है। यूपी में एकला चलो के बाबत पूछे जाने पर श्री बब्बर ने कहा कि कांग्रेस इतनी पुरानी और बड़ी पार्टी है कि इसको कही से भी अकेले लडने में कोई परेशानी नहीं है। गठबंधन के चलते बहुत से अपने इलाकों को छोड़ना पड़ा था। अब फिर से वहां पर जनाधार मजबूत किया जा सकता है। उत्तरप्रदेश के कार्यकर्ताओं में खुशी है कि कांग्रेस अकेले ही चलने का फैसला की है। गठबंधन के बाबत बताया कि बडी और राष्ट्रीय पार्टी होने की अपनी मजबूरी होती है। यूपीए को संगठित करना समर्थित दलों को एकजुट और मजबूत करना और रखना भी कांग्रेस का ही फ़र्ज़ और दायित्व बनता है। इस मामले में कांग्रेस कभी भी पीछे नहीं रही है,। अकेले चुनाव लडने की योजना और रणनीति पर पार्टी काम करने लगी है। फिलहाल तो किंगमेकर बनने वालों की ताकत को देखना ही सबसे दिलचस्प पहलू है।
एनडीए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को 2019 में सतारूढ़ होने से रोकने के लिए यूपीए के सहयोगी दल आज़ कांग्रेस और यूपीए को ही कमजोर करने में लगे हैं। कांग्रेस को कमजोर समझना सभी विपक्षी दलों की सबसे बड़ी अदूरदर्शिता और कमजोरी है। कांग्रेस इतनी पुरानी पार्टी है कि ज्यादातर दल कांग्रेस से ही निकाल कर बनी और अंत में फिर कांग्रेस में ही समाहित हो गए। यह एक राष्ट्रीय देश की पार्टी है, जो सदैव बनी रहेगी। ज्यादातर विपक्षी दल एक दो लोगों की सक्रियता और जीवन पर निर्भर है। कांग्रेस एक अंत: सलिला फल्गु नदी की तरह है जो उपर से सूखी हुई दिखने के बाद भी इसकी धारा चलती रहती है। मशहूर फिल्म अभिनेता और उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने सपा बसपा गठबंधन के बाद समग्र भारत के लिए लखनऊ से दूरभाष पर बात करते हुए अपनी राय जाहिर की। उत्तरप्रदेश की राजनीति पर फोकस करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि सपा बसपा गठबंधन अपने आपको बचाने के लिए किया गया है। यूपीए गठबंधन में इनको और इनके सपनों को पर्याप्त जगह नही मिलती। अलग चुनाव लड़कर और बेहतर परिणाम मिलने पर ब्लैकमेलिंग की पोलटिक्स करने का यह एक तरीका है। पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी अलग थलग चुनाव लड़ेंगी। 20-25 सांसदों के बूते प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा जा रहा है। बैसाखी पर अपंग अपाहिज प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओ से जनता क्या उम्मीद करेगी? बहुत सारे दलों का जमघट एक दलीय एकता और ताकत बनने की बजाय दल-दल बनकर जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। यूपी के बाद पश्चिम बंगाल में भी एकला चलो की उम्मीदों पर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव लडने के लिए तैयार हैं। अलबत्ता और जो भी पार्टियां मिलकर साथ आना चाहे तो कांग्रेस और यूपीए को कोई दिक्कत नहीं होगी। एनडीए के खिलाफ यूपीए को तो जीवित रखना ही होगा। कांग्रेस समर्थित यूपीए के बगैर देश की राजनीति का कोई अर्थ नहीं है। यूपी में एकला चलो के बाबत पूछे जाने पर श्री बब्बर ने कहा कि कांग्रेस इतनी पुरानी और बड़ी पार्टी है कि इसको कही से भी अकेले लडने में कोई परेशानी नहीं है। गठबंधन के चलते बहुत से अपने इलाकों को छोड़ना पड़ा था। अब फिर से वहां पर जनाधार मजबूत किया जा सकता है। उत्तरप्रदेश के कार्यकर्ताओं में खुशी है कि कांग्रेस अकेले ही चलने का फैसला की है। गठबंधन के बाबत बताया कि बडी और राष्ट्रीय पार्टी होने की अपनी मजबूरी होती है। यूपीए को संगठित करना समर्थित दलों को एकजुट और मजबूत करना और रखना भी कांग्रेस का ही फ़र्ज़ और दायित्व बनता है। इस मामले में कांग्रेस कभी भी पीछे नहीं रही है,। अकेले चुनाव लडने की योजना और रणनीति पर पार्टी काम करने लगी है। फिलहाल तो किंगमेकर बनने वालों की ताकत को देखना ही सबसे दिलचस्प पहलू है।