*कुमार राकेश
समय से बड़ा कोई नहीं और राजनीति में समय का बड़ा महत्व माना जाता है.समय के परिपेक्ष्य में भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का जवाब नहीं.श्री मोदी समय के पुजारी कहे जाते हैं.शायद इसलिए उन्होंने उचित समय पर देश को एक जोर का झटका दिया है ,मगर धीरे से.वो है दस प्रतिशत सवर्ण गरीब को आरक्षण दिए जाने का.सच में ये एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व फैसला है श्री मोदी जी के द्वारा देश के लिए.वैसे देखना ये होगा कि इस वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में मोदी की पार्टी भाजपा को कितना लाभ मिलता है.
लेकिन मुझे उस बात से हैरानी है कि कभी आरक्षण का विरोध करने वाले नरेन्द्र भाई मोदी अचानक उसके समर्थन में कैसे आ गए? क्या मजबूरी रही होगी उनकी .समाज को समग्र मज़बूत करने की नीयत या नए विशेष किस्म के वोट बैंक की चाहत. जो श्री मोदी कभी आरक्षण की आलोचना करते नहीं थकते थे ,आज उन्होंने अपने जादू से सबको के साथ खड़ा कर दिया और अपने चिर परिचत नारे “सबका साथ-सबका विकास “ को महिमामंडित कर दिया.आखिर क्या करते मोदी.उनके पास कोई अन्य रास्ता भी नहीं था.पर जो किया,वो अच्छा ही किया.
मुझे ये बात गले नहीं उतर रही हैं कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने सवर्णों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला अचानक जल्दीवाज़ी में लिया.सवर्णों को आरक्षण को लेकर सभी राजनीतिक दलों( कुछ दलों को छोड़कर) में थोड़ी संशय की स्थिति थी लेकिन मरता क्या नहीं करता.आखिरकार सामने 2019 का लोक सभा चुनाव जो है.इसलिए मेरा दावा है दस प्रतिशत सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का मामला पूर्णतया सुनियोजित था .ये भी सोचने वाली बात है कि हमारे नौकरशाह मात्र 3 दिनों में एक नए विधेयक का पूरा प्रारूप तय कर ले और वो कैबिनेट में पारित होते हुए संसद के दोनों सदनों में भी सहजता से पारित हो जाये.जैसे 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी वाले फैसले से पूरा देश हिल गया था, वैसा ही अब 8 जनवरी 2019 को हुआ.क्या रणनीति थी प्रधान मंत्री श्री मोदी की.एक ही झटके में कई प्रकार की समस्यायों से पूर्ण मुक्ति.या देश को एक बार फिर अपनी शैली से चौकाना. ये भी एक तथ्य है कि सरकारी के अंदरूनी स्तर पर भी सवर्णों को आरक्षण को लेकर कोई चर्चा दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक भी किसी मंत्री और नौकरशाह के पास नहीं थी.ये बात दीगर है कि ये सब प्रधानमंत्री मोदी के दिमाग में रहा होगा ,जैसा कि नोटबंदी के दौरान हुआ था.सब सदमे में था और मोदी जी खुश.इस बार तो थोडा अलग हुआ.खेल और कमान प्रधानमंत्री मोदी का और जयजयकार में कुछ दलों छोड़कर सबको गिरते परते शामिल होना पड़ा.मामला वोट बैंक का जो है.
इस फार्मूले से देश के अगड़ी जातियों को कितनी मदद मिलेगी ,ये तो आने वाला समय ही बताएगा,पर चुनाव 2019 में भाजपा को लाभ मिलेगा ,इसमे कोई दो मत नहीं है.कांग्रेस और अन्य दल एक तरफ पानी पीकर भाजपा और मोदी को कोसा ,दूसरी तरफ विधेयक का संसद के दोनों सदनों में समर्थन भी किया.सिवाय लालू यादव की पार्टी राजद और अन्न्द्रमुक और लोक सभा में एक मात्र सांसद वाली मौलाना ओवैसी के.इन तीनो दलों के अपनी अपनी सियासी मजबूरियां है.जिसमे आम जनता का कोई खास वजूद नहीं दिख रहा.
देश में आरक्षण राजनीति के तहत कुछ आंकड़े हमें कुछ सोचने को मजबूर करता है .देश में 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है.जिसमे 27 प्रतिशत आरक्षण पहले से है.अनुसूचित जाति की आबादी 16.6 प्रतिशत है,उनको 15 प्रतिशत आरक्षण पहले से है.अनुसूचित जन जाति की आबादी 8.6 प्रतिशत है,जिसको 7.5 प्रतिशत का आरक्षण है.सामान्य वर्ग की आबादी का प्रतिशत 22 है जिसमे से ये नया आरक्षण 10 प्रतिशत सुनिश्चित करने की कोशिश की गयी है.वो भी लोक सभा चुनाव जीतने के टोटके के तौर पर.ये सब प्रतिशत को खुले दिमाग से विश्लेषण किया जाये तो आपको महसूस करेंगे कि भारत एक कृषि प्रधान नहीं ,ग्राम प्रधान नहीं ,विकासशील नहीं बल्कि एक जाति और आरक्षण प्रधान देश है.क्या भारत के साथ ऐसा ही होता रहेगा,कब तक होता रहेगा.मुझे लगता है कि वोट की स्वार्थपरक राजनीति ने देश को एक बार फिर से कई साल पीछे धकेल दिया है.यदि प्रधानमंत्री मोदी में हिम्मत होती तो वे ज्यादा से ज्यादा आर्थिक आधार पर आरक्षण की घोषणा कर देते और बाकी सभी जातिगत और अन्य आरक्षण समाप्त कर देते तो वाकई में वे इतिहास पुरुष कहलाते.
इन तमाम फैसलों से सम्विधान के निर्माताओं में से एक बहुचर्चित डॉ बाबा साहेब आंबेडकर के साथ सभी परम पूज्य नेताओ की आत्मा कराह रही होगी कि उनके सोच के विपरीत ये सब कैसे हो गया.उन सबो ने देश के समग्र विकास के लिए महज 10 वर्षो के लिए जातिगत आरक्षण की व्यवस्था बनायीं थी लेकिन वो तो सुरसा की तरह मुंह फैलाये आज भी खड़ी है,ये तो नरेन्द्र मोदी रूपी हनुमान को दाद देनी पड़ेगी कि उस सुरसा के मुंह से 10 प्रतिशत लेकर सवर्णों को भी कुछ दे दिया,जो भी है.जैसा भी.
ये बात भी काबिले गौर है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ये फैसला आनन् –फानन में नहीं किया बल्कि पूर्व नियोजित शैली में किया.कांग्रेस सरकार ने असम ,जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे जनरल एस के सिन्हा की अध्यक्षता में 2006 में सवर्णों को आरक्षण देने को लेकर एक विशेष आयोग बनाया था. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 2010 में केंद्र सरकार को सौंप दी थी.उस रिपोर्ट में सवर्णों को आरक्षण की सिफारिश की गयी थी .पर कांग्रेस ने उसे ठन्डे बस्ता में डाल दिया था.लेकिन हर वक़्त गरम रहने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने उसी रिपोर्ट को आधार बनाकर कांग्रेस को जोर का झटका दिया है.
राज्य सभा में 9 जनवरी को कोंग्रेस नेता कपिल सिब्बल शायद अवचेतन अवस्था में ऐसा कुछ कह गए,जिससे प्रधान मंत्री मोदी का कद स्वयमेव बढ़ जाता है.श्री सिबल ने कहा ये विधेयक हड़बड़ी में लाया गया है .कोई सर्वे नहीं करवाया गया.न ही किसी दल से चर्चा की गयी.जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो 1980 में बनाया गया मंडल फार्मूला 1990 में लागू हो सका वो भी लचर अवस्था में .यानी की दस साल लगे कांग्रेस को एक अनुशंषा को लागू करने में,जिसमे कई पेंच छूट से गए थे.जबकि आज की स्थिति में प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने तीन दिनों में अपने उस अनुपम कार्य को अमली जामा पहना दिया.वो भी बिना किसी पेंच के.इस विधेयक में कोई भी अड़चन नहीं आने वाली,जैसा कि मशहूर वकील और केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद को आश्वस्त किया.
हम इसे क्या कहेंगेकौन ज्यादा तेज और समझदार है,फर्क आसानी से किया जा सकता है .यदि हम भारत के राजनीतिक इतिहास को देखे तो कांग्रेस सरकार लटकाने,भटकाने में लगी रहती थी,जबकि भाजपा की मोदी सरकार झटका देते हुए देश हित में कई नए अध्याय लिखने में जुटी हुयी है .
संसद के दोनों सदनों में आरपी आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने अपने कवित्व शैली में प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष अपनी बाते रखी.राज्य सभा में श्री अठावले ने जो कविता पढ़ी तो सारा सदन हंसी से लोट-पोट हो गया.राज्य सभा में 9 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी तो सदन में नहीं थे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जरुर थे.श्री अठावले की कुछ पंक्तिया—सवर्णों में थी गरीबी की रेखा,जिसे सिर्फ नरेंद्र मोदी ने देखा//नरेन्द्र मोदी का कारवां आगे चला,इसलिए गरीबों का हुआ भला //सवर्णों को आरक्षण देकर मोदी जी ने मारा छक्का,2019 में विजय है उनका पक्का//मेरे को मोदी और अमित शाह दे दे साथ तो, मै मारूंगा इस बार कांग्रेस को जबरदस्त धक्का