कमल को परास्त कर कमल का कमल खिल गया कमलप्रदेश में
नयी दिल्ली।
मैराथन बैठक इंतजार टकराव रूठारूठी मान-मनौव्वल इंतजार और विरोध के बाद आखिरकार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ अंततः मध्यप्रदेश सरके मुख्यमंत्री बन गए हैं। सोमवार 17 दिसंबर को कमलनाथ मुख्यमंत्री पद का शपथ लेंगे। शपथग्रहण समारोह होने में भले हीं अभी 48 घंटे बाकी हो मगर कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही भोपाल से लेकर दिल्ली तक यह चर्चा गरम हो चुका है कि कमल को सूबे से हटाकर कमल कितने दिन? आर्थिक तौर पर कंगाल मध्यप्रदेश विरासत में मिली है। उसपर पौने दो लाख करोड़ रुपए का कर्ज बेकारी और दस दिनों में लाखों किसानों की कर्ज़ माफी की चुनौती की फांस सामने है। उसपर पूर्व मुख्यमंत्री शिवगराज सिंह चौहान के आक्रामक तेवरों के बीच अगले पांच माह के बाद लोकसभा चुनाव में फिर से जीत दोहराने की चुनौती होगी। इन तमाम संकटों समस्याओं के बीच वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ ताज पहनने के लिए सजग सतर्क उत्साहित और सावधान हैं। तमाम संकटों के बावजूद सबसे बड़ी समस्या पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है। मामूली सीटों से अंतर पर पिछड़ने के बाद पूरे सूबे में आभार यात्रा तो बस बहाना है। इस यात्रा के दौरान वे एक एक सीट और चुनावी परिणामों की समीक्षा भी करेंगे। यही बहाने सरकारी लाव लश्कर से दूर रहकर शिवराज अपने लिए सहानुभूति भी बोनस की तरह प्राप्त करेंगे। एक तरफ कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ शपथग्रहण करके मंत्रीमंडल गठन करके पहले दस दिनों के अंदर किसानो के कर्ज माफी पर माथा पच्ची करेंगे। तब तक अपनी यात्रा के साथ ही शिवराज लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। भोपाल की सता से बेदखल शिवराज की नजर दिल्ली की ओर है। साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद यदि भोपाल में ही सता की उठा-पटक का भी संयोग बना तो हर मामले और माहौल के लिए भी शिवराज सिंह चौहान ने अपनी गोटियों को सेट करना अभी से चालू कर दिया है। भले ही 13 साल में शिवराज सिंह मध्यप्रदेशको पौने दो लाख करोड़ रुपयों का बोझ छोडकर सता से बाहर हुए हो मगर अपनी हार के मलाल को वे भूलने की बजाय कमलनाथ सरकार को विधानसभा के बाहर भीतर बेदम करके ही अपनी खीझ को आक्रामकता की चासनी में नया तेवर देंगे। उधर चार दशक से सांसद रहे कमलनाथ भोपाल की अपेक्षा दिल्ली को ज्यादा जानते हैं मगर इस बार भोपाल की जिम्मेदारी है। सरकार गठन में अभी 48 घंटे की देरी हो, मगर मंत्री बनने, बनाने और बनवाने वालों की पूरी टोली सक्रिय हैं। संभावित मंत्रियों के नामों में राजवर्धन सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, श्री मती विजय लक्ष्मी साधों, उमंग सिंगार, हुकुम सिंह कराडा, जीतू पटवारी, तुलसीराम सिलावट, कलावती भूरिया, बाला बच्चन, आरिफ अकील, पीसी शर्मा, सचिन यादव, गोविंद राजपूत, लक्षमण सिंह, इमरती देवी, दीपक सक्सेना, प्रियवत सिंह, के पी सिंह ,डा. गोविंद, प्रद्युमन सिंह तोमर, जयवर्धन सिंह, कमलेश्वर पटेल, हिना कांवरे, बिसरल सिंह, तरूण भनोट, शुखदेव पासे, दिलीप गुर्जर,लखन सिंह यादव, शशांक भार्गव, विक्रम सिंह राणा, लखन घनघोरिया, प्रदीप जायसवाल आदि विधायकों की लंबी फेहरिस्त है। अब सवाल है कि कमल सूबे के आहत और घायल कमल सैनिकों से किस तरह निपटते हैं। देखना यही दिलचस्प है कि लाखों समस्याओं, संकटों चुनौतियों और खाली खजाने के साथ कमलनाथ इस मध्यप्रदेश में क्या कमाल दिखा पाते हैं?
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