अमृतसर रेल हादसा के एक माह बाद / अबतक 7 1 मरे और चार दर्जन लोग अपाहिज अपंग हुए
अमृतसर के जोड़ा रेलवे फाटक के समीप धोबी घाट पर रावण दहन के समय एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर अब तक 71 लोगों की मौत हो जाने के एक माह के बाद भी सरकार प्रशासन और रेलवे की उपेक्षा बदस्तूर जारी है। 19 अक्टूबर को शाम सवा सात बजे रावण दहन देख रहे हजारों लोगों में सैकड़ों लोग रेलवे पटरी पर खड़ा होकर रावण दहन लीला देखने में मशगूल थे। तभी मौके से 20-25 मीटर दूर रेलवे पटरी पर दो ट्रेनें गुजरी। उसी समय रावण का जलता पुतला गिरने लगा और बचने के लिए लोगों की भीड़ आगे पीछे तितर-बितर होने लगी। उसी समय रेल की चपेट में आकर दस सेकेंड के अंदर मौके पर ही 58 लोग पलभर में कटकर मारे गये और 60 से भी अधिक लोग घायल हो गए। एक माह के दौरान 13 और लोगों ने भी अपना दम तोड़ दिया। इस तरह इस हादसे में बेमौत मरने वालों की तादाद 71 हो गयी है। और अभी भी 40 से अधिक लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। जिसमें दो दर्जन लोग के जीवन भर के लिए अपंग विकलांग हो जाएं। वही डेढ़ दर्जन लोग भी महीनों उपचार के बाद ही अपाहिज बनकर जिंदगी को ढोएंगे। अस्पताल में डॉक्टरों नर्सो और मेडिकलकर्मियों की मानवीय सहायता से लोगों की शिकायतें दूर हो गयी है तो मरीजों और इनके परिजनों की तिमारदारी घर की देखभाल और परिजनों के लिए दवाइयां भोजन फल दूध बिस्कुट बिस्तर आदि बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई संगठनों धार्मिक सत्संग समितियों के साथ अनगिनत लोग रोजाना आकर इनकी देखभाल में लगे हैं। मृतकों के यहां भी मददगारों की भीड़ लगी है। आमलोगों द्वारा हादसे के शिकार लोगों के भावनात्मक मलहम से काफी राहत है
=== रावण दहन के समय की इस रेल हादसे की खबर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को यह खबर जब मिली तो उस समय वे विदेश जाने के लिए दिल्ली के एयरपोर्ट पर थे। इस हादसे की सूचना पाते ही मुख्यमंत्री ने अपने कार्यक्रम को दो दिन टालकर चंडीगढ़ लौट गये। मगर चंडीगढ़ से अमृतसर तक पहुंचने में मुख्यमंत्री को 24 घंटे लग गये। पांच पांच लाख रुपये की सहायता राशि का झुनझुना लेकर जब वे अमृतसर पहुंचे तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। और विरोध के कारण वे घायलों से भी नहीं मिल सके, और अपनी कार से बाहर निकल कर ही लोगों को संबोधित करके वापस चंडीगढ़ लौटते ही अगले दिन विदेश चले गये। उधर एक अनुबंध के लिए विदेश गये केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को जब इस हादसे की सूचना मिली तो वे बावला हो गये। अपने सारे कार्यक्रम को रद्द करके फौओ लौटने की तैयारी में लग गये और पल पल की खबर लेते रहे। इस हादसे के बाद रेलमंत्री की विह्वलता को देखकर देशवासियों को बडा़ संतोष हुआ। रेलमंत्री गोयल की चिंता से ऐसा प्रतीत हुआ मानो वे एयरपोर्ट से उतरते ही सीधे अमृतसर जाएंगे। मगर इस घटना के बाद बावला हो रहे रेलमंत्री गोयल इतने संवेदनशील निकले कि हादसे के एक माह का समय गुजर जाने के बाद भी इनको अमृतसर जाने की सुध नहीं रही। अलबत्ता रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा रातोंरात मौके पर गये और हाल का जायजा लेकर रेलवे को निर्दोष बताकर वापस आ गये। कई एजेंसियों से जांच कराने का निर्देश दिया। मगर एक माह के बाद भी अभी तक इस मामले का कोई अता-पता साफ नहीं हो पाया है।
====उधर मौके पर 58 लोगों की मूली गाजर की तरह कट गये। तो 24 घंटे के भीतर तीन और लोगों की मौत से मरने वालों की तादाद 61, हो गयी।यहां तक तो मृतकों को सरकारी सहायता राशि का झुनझुना मिल गया। मगर घटना के दो सप्ताह के दौरान 10 और लोगों ने अपना दम तोड़ दिया। इस तरह इस हादसे में अब तक कुल 71 लोगों की जान चली गयी। और करीब 40 से भी अधिक लोगों की अलग अलग इलाज हो रहा है। सरकारी मदद पर जनता और धार्मिक संगठनों की मदद भारी पड़ रही है। मरीजों और तिमारदारी कर रहे परिजनों की देखभाल में अपार जनसमूह साथ-साथ खडा हो गया। हर तरह की भावनात्मक आर्थिक और सामाजिक मदद से पीड़ितों के जख्म पर मलहम भी लगा। आज के आधुनिक समाज में सहयोग करने की बेमिसाल उदाहरण मानवता को सम्मानित किया। विवादों में घिरी विधायक मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की डॉक्टर पत्नी ने भी सेवा और देखरेख से सबका मन मोहित कर ली स्थानीय विधायक नवजोत सिंह सिद्धू की तत्परता से भ सबकी शिकायतें खत्म हो गयी। राहत सामग्री के साथ अमृतसर गये लोजपा के दिल्ली सचिव दर्शनलाल ने समग्र भारत को वहां की हालत पर संतोष जताया। इनका कहना है कि पूरा शहर और बहुत से संगठन तिमारदारी में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि इतनी मदद मिल रही है कि एक मीनी ट्रक में समान ले जाना बेमानी सा था। इनका कहना है कि जो लोग मारे गये वे लोग सही मायने में तर गये। असली संकट समस्या तो अपाहिज हो गये लोगों की है। जो इस हादसे के बाद बेसहारा हो गये। ====धार्मिक संगठनों सहित हर तरह की मदद के लिए लोग जी-जान से लगे हैं। बहरहाल कांग्रेस शासित राज्य होने के कारण कांग्रेस मुखिया राहुल गांधी को भी यहां आने का मौका नहीं मिला। चुनावी शोर और रैलियों में झूठ का बाजार गरम है। लोग एक दूसरे पर देश को जनता को छलने का आरोप भी लगा रहे हैं। मगर अमृतसर के लोग भी इन नेताओं को देख और परख रही है कि झूठ के इस संवेदनहीन बाजार में 71 लोगों की मौत का कोई अर्थ नहीं है। और ना ही जोडा रेलवे फाटक पर तैनात रेलवे स्टाफ की कामचोरी निष्क्रियता और अपनी ड्यूटी के प्रति उदासीनता की तरफ किसी को भी यह देखकर नजर नहीं जा रही है कि ठीक फाटक से एक सौ मीटर दूर सैकड़ों लोगों की मशगूल भीड़ कोई देखकर भी फाटक ने रेलगाड़ी जाने के लिए ग्रीन सिग्नल क्यों दिया। रेलवे फाटक कर्मियों की सजगता से पल भर में ही गाजर मूली की तरह कट गये और जीवन भर के लिए चार दर्जन लोगों के अपाहिज अपंग होने से सुरक्षित बच सकते थे। जो नहीं हो सका।