पटना, बिहार: शनिवार को जब नीतीश सरकार ने सात आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया तो सबको लगा कि अपराध पर लगाम लगाने की ये कवायद है। लेकिन मुजफ्फरपुर एसएसपी के तबादले को लेकर तरह तरह के सवाल उठने लगे। पहला सवाल- क्या महिला एसएसपी अपराध पर लगाम लगाने में नाकाम हुई थीं? उन्हें शंटिंग में डालने की बजाय उन्हें दूसरे जिला का एसपी बनाया गया। तेजस्वी यादव ने एसएसपी के तबादले को लेकर सवाल उठाकर मामले को और भी तूल दे दिया।
हरप्रीत कौर के तबादले का फौरी कारण मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर समीर कुमार की एके–47 से हुई हत्या के बाद जिले में पदस्थापित किये जाने को लेकर सवाल उठने लगे। हरप्रीत कौर के तबादले के सरकारी फैसले को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है। चर्चा है कि यह तबादला एक नेताजी की वजह से हुआ है। ये नेताजी बिहार सरकार में मंत्री हैं। यहीं कारण है कि पप्पू यादव जिनके साथ एसएसपी का छतीस का रिश्ता था, वो भी इस तबादले को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
लोगों में ये चर्चा आम है कि आईपीएस हरप्रीत कौर एक ऐसी पुलिस अधिकारी थी जो अपने सीनियर ऑफिसर के कण्ट्रोल में भी नहीं थी। उनके सर पर मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड और पूर्व मेयर की हत्या से जुड़े सच्चाई को सामने लाने की सनक सवार थी। एक ऐसी पुलिस अधिकारी थी जिसे हैंडल करना किसी नेता के वश की बात नहीं थी। ब्रजेश ठाकुर जैसे प्रव्शाली व्यक्ति के खिलाफ जिसने कारवाई में कोई देर नहीं की। मुजफ्फरपुर महापाप की जांच बाद में सीबीआई को सौंपी गई लेकिन उसके पहले उसने सही दिशा में जाकर जांच पड़ताल शुरू की और जरुरी कारवाई की। पप्पू यादव के द्वारा ब्रजेश ठाकुर से मिलीभगत का आरोप भी जनता के गले नहीं उतरा। वह मुजफ्फरपुर की जनता की नजर में एक हेरोइन बन चुकी थी।
ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार किए जाने के बाद कोर्ट के आदेश से पहले अस्पताल भेजा गया। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि मुजफ्फरपुर एसएसपी ने उसे अस्पताल भेज दिया जेल भेंजने की जगह। लेकिन उसका उसने तुंरत जबाब दिया, ये फैसला उसका नहीं कोर्ट का था। एसएसपी ने मुजफ्फरपुर जेल में छापा मारा। इस छापेमारी में ब्रजेश ठाकुर के पास से कोई मोबाइल तो नहीं मिला, लेकिन संपर्क करने को मोबाइल नंबरों की लिस्ट मिली। इसमें कई बड़े लोगों के नंबर थे। इन नंबरों में ही बिहार सरकार के ‘नेताजी’ का नाम भी बताया जा रहा है। मुजफ्फरपुर से ही ताल्लुकात है ‘नेताजी’ का। अब जनता में चर्चा आम है कि इसी नेताजी को बचाने के लिए एसएसपी का तबादला कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार ये नेताजी एसएसपी हरप्रीत कौर के रडार पर आ गए थे। नेताजी के रडार पर आने के बाद सरकार में ऐसे खलबली मची कि नेताजी ने अपना चिर-परिचित मोबाइल नंबर ही बदल दिया। उनका मोबाइल आज भी बंद बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार नेताजी का जो मोबाइल नंबर ब्रजेश ठाकुर की डायरी में मिला था, वह आज भी बंद है। नेताजी अपने पीए के मोबाइल से ही अपना काम चला रहे हैं। लोगों के बीच यह चर्चा आम है कि नेताजी हरप्रीत कौर के तेवर से परेशान थे और उनसे किसी भी कीमत पर अपना पिंड छुड़ाना चाहते थे। और शनिवार को सरकार ने उनका तबादला भी कर दिया।
हरप्रीत कौर के तबादले को लेकर एक दूसरी चर्चा भी पब्लिक के बीच जोरों पर है। पूर्व मेयर समीर कुमार की हत्या से जुडी यह चर्चा है। चर्चा है इस हत्या के मामले में एसएसपी हरप्रीत कौर एक नेताजी के बेटे के साथ समीर सिंह के विवाद को केंद्र में रखकर जांच को आगे बढ़ा रही थीं। एक दूसरे नेताजी को परदेश में थे, वो भी एसएसपी के रडार पर थे। सहारा इंडिया और कल्याणी की जमीन के सौदे की पड़ताल को लेकर दोनों नेताजी परेशान थे इसलिए एसएसपी की यहाँ से विदाई हो गई।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सहारा इंडिया के सौदे में सौ करोड़ से अधिक की ब्लैक मनी लखनऊ तक पहुंचाई गई। इसको लेकर भी विवाद हो गया था। जांच आगे बढ़ती और चेहरे बेनकाब होते, इसके पहले ही हरप्रीत कौर को मुजफ्फरपुर से विदा करा दिया गया। दरअसल, ये चर्चा जनता के बीच आम हो गई है। लेकिन सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चल पायेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल- जांच कौन करेगा, और सच्चाई कब सामने आयेगी?