नई दिल्ली: भारत नवंबर तक ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद कर सकता है। माना जा रहा है कि अमेरिका की ओर से प्रतिबंध की धमकियों के बीच भारतीय कंपनियां नवंबर तक ईरान से तेल की आपूर्ति खत्म कर सकती हैं। अभी तक किसी भी कंपनी ने ईरान को नवंबर के लिए तेल का ऑर्डर तक नहीं दिया है। ऐसे में जापान और कोरिया के बाद ईरान पर एक और तेल का बड़ा खरीदार खोने का खतरा पैदा हो गया है। चीन के बाद भारत ईरान के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। तेल उद्योग के एक बड़े अधिकारी ने कहा है कि नायरा एनर्जी भी इसी नक्शेकदम पर चल रही है और उसकी भी ईरान से तेल खरीदने की कोई योजना नहीं है।
हालांकि, मंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लि. के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने इस महीने के लिए तो कोई ऑर्डर नहीं दिया, लेकिन बाद में दे सकती है। वैसे नवंबर की खेप के लिए अक्टूबर के शुरुआत तक ऑर्डर दिया जा सकता है, इसलिए कंपनियों के विचार बदलने की संभावना खारिज नहीं की जा सकती। ईरान के कच्चे तेल से निर्यात में गिरावट की वजह से ब्रेंट क्रूड का भाव चार वर्ष के ऊपरी स्तर पर पहुंचकर 80 डॉलर के पार हो गया है। ऊपर से उत्पादन कम होने की वजह से कीमतें और बढ़ सकती हैं क्योंकि रिफाइनरीज दूसरे देशों से तेल आयात के रास्ते तलाश रही हैं।
दुनियाभर में सिर्फ सऊदी अरब और कुछ-कुछ यूनाइटेड अरब अमीरात एवं रूस के पास ही तेल उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है। गौरतलब है कि चीन के बाद भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। भारत ने इस वर्ष वहां से प्रति दिन औसतन 5 लाख 77 हजार बैरल तेल मंगाया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़े के मुताबिक, यह मध्य पूर्व के देशों के कुल तेल निर्यात का 27 प्रतिशत है। दरअसल, दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोपीय देश भी ईरान से तेल आयात बंद करने जा रहे हैं। ऐसे में भारत का इस तरह का फैसला ईरान को बड़ा झटका देगा। उधर, 4 नवंबर से ईरान से तेल आयात पर शुरू हो रही अमेरिकी पाबंदी के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 80 डॉलर से बहुत आगे जा सकता है।