एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद से प्रदेश में जिस तरह विरोध की आग तेज होती जा रही है उसकी लपट से भाजपा तो बचती नजर आ रही है। इस मामले में प्रदेश ही नही देश के बड़े भाजपा नेता भी बयान देने से कतरा रहे हैं ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने दुस्साहस दिखाया है। कमलनाथ से इस एक्ट को लेकर पार्टी का रुख पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस किसी भी हालत में एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने के पक्ष में नहीं है। उनके इस बयान के बाद बहुत संभव है कि दलित वर्ग कांग्रेस पर मोहित होने लगे लेकिन सामान्य (सवर्ण) वर्ग उतनी ही तेजी से दूरी भी बना सकता है। सवर्ण वर्ग का गुस्सा ठंडा करने के लिहाज से भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन सवर्ण समाज के भारत बंद से लेकर विरोध प्रदर्शन तक के लिए यह दावे जरूर किए जा रहे हैं कि एक तरफ जहां संघ पहले सामाजिक समरसता वाले सम्मेलन आयोजित करता रहा तो अब सवर्ण समाज की एकजुटता की कमान भी अदृश्य रूप से संघ के हाथों में ही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का यह बयान ठीक उस समय आया है जब इस एक्ट में हुए संशोधन के विरोध में रविवार की दोपहर उज्जैन में प्रदेश की सबसे विशाल रैली निकली है। कमलनाथ ने प्रेस क्लब में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के संबंध में स्पष्ट कहा कि हम संविधान में आरक्षण की व्यवस्था से सहमत है लेकिन किसी के साथ अन्याय भी न हो। हम समाज के सभी तबकों के साथ न्याय के पक्ष में हैं किंतु एससी-एसटी एक्ट और आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को किसी भी हालत में कमजोर (डायल्यूट) करना नहीं चाहते।
कमलनाथ के इस कथन को पार्टी का स्टैंड माना जा सकता है। हो सकता है कि उनके इस कथन के बाद सवर्ण वर्ग विरोध में उतरे तो वह बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने की बात भी कहें लेकिन उनके उक्त कथन से सामान्य वर्ग को कोई ठोस भरोसा नहीं मिलता है। भाजपा की तरह कांग्रेस की भी यगह मजबूरी है कि एक्ट में हुए संशोधन के बाद उत्पन्न स्थिति में वह खुलकर कुछ बोल भी नहीं सकती क्योंकि अमेडमेंट के पक्ष में भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दलों ने वोटिंग की है। इसलिए सवर्ण समाज ने उज्जैन को चुना रैली के लिए उज्जैन में ही सवर्ण समाज की रैली क्यों निकाली गई? यह सवाल भोपाल से भी जिला प्रशासन से पूछा गया है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक उज्जैन के सांसद डॉ मालवीय द्वारा इस एक्ट को लेकर सु्प्रीम कोर्ट पर की गई कथित टिप्पणी और सांसद थावरचंद गेहलोत के नेतृत्व में पीएम मोदी से मिले इस वर्ग के सांसदों द्वारा एक्ट में संशोधन के लिए बनाए दबाव जैसे कारण से ही उज्जैन को रैली के लिए चुना गया। इन दोनों सांसदों का गृह क्षेत्र उज्जैन ही है।
(कीर्ति राणा, वरिष्ठ पत्रकार। ये लेखक के अपने विचार हैं।)