लंदन, इंग्लैण्ड: लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला तेज कर दिया है। उन्होंने जर्मनी के बाद लंदन में भी संघ, भाजपा और मोदी सरकार पर तीखे हमले किए।
शुक्रवार को लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने संघ को अरब देशों में सक्रिय संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा बता दिया। इससे दो दिन पहले जर्मनी में उन्होंने संघ की तुलना अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएस से की थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जहां देश के लोगों को जोड़ रही है, वहीं भाजपा और आरएसएस देश को तोड़ने में लगे हैं।
भाजपा ने राहुल के बयान की निंदा की है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसे भारत का अपमान कहते हुए राहुल से देश से माफी मांगने को कहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत में एक संगठन है आरएसएस। वह भारत का मिजाज बदलने की कोशिश कर रहा है। इसकी विचारधारा अरब जगत में सक्रिय संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी है। इसके पीछे उसका विचार यह है कि एक ही विचारधारा सभी संस्थानों में रहनी चाहिए। एक विचार ऐसा हो जो दूसरे विचारों को कुचल दे।
राहुल ने कहा कि अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने का प्रयास कभी नहीं किया है। राहुल ने सर्जिकल स्ट्राइक, डोकलाम जैसे कई मुद्दों पर भी टिप्पणी की। इससे पहले बर्लिन में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा और आरएसएस समाज को बांटने व घृणा फैलाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस के काम करने का तरीका नरेंद्र मोदी सरकार से अलग है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘हमारा काम है लोगों को साथ लाना व देश को आगे बढ़ाना और हमने यही किया है।’ राहुल ने कहा कि उनकी सोच गुरु नानक की शिक्षाओं से प्रेरित है।
लेबर पार्टी के नेताओं से मिले
राहुल ने लंदन में विपक्षी लेबर पार्टी के नेताओं से भी मुलाकात की। इस दौरान ब्रिटेन की वीजा नीति में बदलाव से भारतीय छात्रों और पेशेवरों को होने वाली परेशानियों का मुद्दा भी उठा। उन्होंने आतंकवाद से विश्व शांति और सुरक्षा पर पड़ने वाले खतरे के बारे में भी चर्चा की।
मोदी की लापरवाही से डोकलाम
राहुल ने कहा कि चीन के साथ डोकलाम में गतिरोध नहीं हुआ होता, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सावधान रहते। उन्होंने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं था। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा था। यदि प्रधानमंत्री सावधानी से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखते तो इसे रोका जा सकता था। उन्होंने दावा किया कि चीनी सैनिक डोकलाम में अब भी मौजूद हैं।
आतंकी संगठन माना जाता है ‘मुस्लिम ब्रदरहूड’
‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ नामक संगठन की स्थापना मिस्र के एक शिक्षक ने 1928 में की थी। उस शिक्षक का नाम हसन अल बन्न था। कई अरब देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं। इसलिए यह कई अरब देशों में प्रतिबंधित है। यह अरब देशों के सुन्नी मुसलमानों का धार्मिक व राजनीतिक संगठन है। यह राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के साथ ही हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है। मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी इसी संगठन के सदस्य थे।
कई देशों में बैन है मुस्लिम ब्रदरहुड
आपको बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड अरब का इस्लामिक संगठन है यह 90 साल पुराना है और इसका उद्देश्य अन्य देशों में भी इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना और इस्लामिक कानून शरिया लागू करना है। इस संगठन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगता रहा है। आतंक, हिंसा और कट्टरवाद फैलाना इस संगठन का मुख्य काम है जिसके चलते इस संगठन को रूस, सीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन तथा मिस्र में आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है। साल 2012 में मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाने के पीछे भी इसी संगठन (मुस्लिम ब्रदरहुड) का ही हाथ माना जाता है।