नई दिल्ली: पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ में पुन: सुनवाई हुई। लगभग 2 घंटे तक सरकार और अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के वकील अपने तर्क रखते रहे। दोनों की ओर से 12 से अधिक वरिष्ठ वकील और लगभग 50 अन्य वकील उपस्थित रहे।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से ही 5 वरिष्ठ वकील लगाए गए। सभी का मात्र एक ही तर्क कि जाति के आधार पर भेदभाव होता है और हम जन्मजात पिछड़े हैं। यह पिछड़ापन तब भी दूर नहीं होता जब हम महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच जाते हैं। अत: पदोन्नति में पिछड़ेपन को देखना गलत है। यह तर्क भी दिया गया कि धारा 16(4a) में पिछड़ेपन का कोई उल्लेख नहीं है
शांतिभूषण एवं राजीव धवन ने विपक्ष के लिए तर्क रखे। भूषण ने तर्क दिया कि धारा 16(5a) में पिछड़ेपन शब्द का उपयोग भले न हुआ हो लेकिन यह धारा 16 से निकली है और पिछड़ापन देखा जाना इसमें समाहित है। धवन ने स्पष्ट किया कि एम नागराज का निर्णय सही है और संविधान के समानता के सिद्धांत पर आधारित है। इसके बगैर समानता के अधिकार को शासकीय सेवाओं में बरकरार नहीं रखा जा सकता। प्रकरण पर अगली सुनवाई अब आगामी 29 और 30 अगस्त को चलेगी।