नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) की बैलेंस शीट पर एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) का दबाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बढ़ते एनपीए की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एसबीआई को 4,876 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 2,006 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
हालांकि तिमाही आधार पर देखा जाए बैंक के घाटे में कमी आई है। पिछली तिमाही (पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही) में बैंक को 7,718 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को दी गई जानकारी में एसबीआई ने बताया है कि अप्रैल से जून के दौरान उसकी आय में इजाफा हुआ और यह पिछले वित्त वर्ष के 62,911.08 करोड़ रुपये से बढ़कर 65,492.67 करोड़ रुपये हो गया।
एनपीए में हुई भारी भरकम बढ़ोत्तरी की वजह से बैंक को भारी नुकसान हुआ है। जून के अंत तक बैंक का एनपीए बढ़कर 10.69 फीसद हो गया, जो एक साल पहले कुल कर्ज का 9.97 फीसद था। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक का एनपीए बढ़कर 2,12,840 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 1,88,068 रुपये था। बैंक को हुए बड़े घाटे की वजह प्रॉविजनिंग रही।
पहली तिमाही में बैंक ने पिछली बार के मुकाबले दोगुनी रकम की प्रॉविजनिंग की। जून तिमाही में बैंक ने कुल 19,228 करोड़ रुपये की प्रॉविजनिंग की। लगातार बढ़ रहे एनपीए की वजह से देश के सरकारी बैंकों की हालत बिगड़ती जा रही है।