नई दिल्ली: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज असम के एनआरसी विवाद पर राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि 30 जुलाई को आया ड्राफ्ट अंतिम नहीं है और जो लोग सूची में आने से रह गये हैं उन्हें फिर मौका प्रदान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि एनआरसी में नामांकन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और विभिन्न दस्तावेजों की गहन पड़ताल के बाद ही किसी व्यक्ति का नाम इस सूची में शामिल किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है और समय समय पर पूरे कामकाज की समीक्षा भी कर रहा है।
उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि ना कोई भेदभाव किया गया है और ना ही आगे कोई भेदभाव किया जायेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और असम सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि तय समय सीमा में भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल किये जाएं। गृहमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनावश्यक रूप से भय का माहौल पैदा किया जा रहा है और साम्प्रदायिक रूप से माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि जो लोग एनआरसी में आने से रह गये हैं उन्हें जरूर एक और मौका दिया जायेगा और यदि इसके बावजूद वह दस्तावेज नहीं दे पाते हैं तो उन्हें न्यायिक अधिकरण के पास जाने का अधिकार होगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने सरकार से जो अपेक्षा की है उसी के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी दस्तावेज एनआरसी के लिए आवश्यक हैं यदि वह दिये जाएं तो कोई भी व्यक्ति एनआरसी में शामिल होने से नहीं छूटेगा.
आपको बता दें असम के कुल 3.29 करोड़ आबादी में से 2.89 करोड़ की नागरिकता सही पायी गयी थी। बाकी बचे 40 लाख लोगों को 31 दिसंबर 2018 तक दुबारा अपनी नागरिकता सिद्ध करने का मौका मिलेगा। सरकार बार-बार ये साफ कर चुकी है की जो लोग भारत के नागरिक हैं और छूट चुके हैं उन्हें घबराने की कोई जरुरत नही है। हालांकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस बीजेपी को एनआरसी के मुद्दे पर संसद में घेरने की कौशिश कर रही है।