कुमार राकेश
नई दिल्ली: बुधवार से शरु हुए मौनसून सत्र में टीडीपी को उस समय तिरस्कार झेलना पड़ा जब गैर भाजपाई विरोधी दलों ने टीडीपी की सत्र न चलने वाली रणनीति का साथ नही दिया। टीडीपी पिछले सत्र की तरह इस सत्र को भी गैर-कामकाजी सत्र बनाने में तुली हुई थी जो की पूरी तरह से विफल हो गया।
दरअसल टीडीपी के सांसदों की मांग थी कि ‘आंध्र प्रदेश पुर्नगठन अधिनियम’ को सही तरीके से लागू करने को लेकर संसद के प्रश्नकाल को निरस्त कर अधिनियम पर चर्चा की जाए। हालांकि इसको लेकर सभी दलों ने टीडीपी का साथ नही दिया।
टीडीपी नेता वाई एस चौधरी ने कहा की जब तक केंद्र सरकार उन्हें ये आश्वासन नही दे देती की ‘आंध्र प्रदेश पुर्नगठन अधिनियम’ को सही तरीके से लागू किया जाएगा तब तक उनकी पार्टी संसद के दोनों सदनों में प्रदर्शन करेगी। चौधरी ने कहा की, “ये संभव नही है की केंद्र सरकार पहले वादा करे और उसके बाद पलट जाए मैं चाहता हूँ सभी विरोधी दल मेरा इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने को लेकर साथ दें”।
हालांकि, अन्य विरोधी दल ने चौधरी की बात को नकारते हुए कहा की अगर सत्र नही चलेगा तो इससे सरकार का फायदा होगा, जिससे की सरकार किसी भी मुद्दे पर जवाब नही दे पाएगी। विरोधी दलों ने कहा की अच्छा होगा की हम सत्र चलने दें और टीडीपी की परेशानियों को हम सरकार से सीधा पूछे बजाए सत्र को निरस्त करने के।
जैसे की पिछले सत्र में देखा गया की टीडीपी और तमिल पार्टियों द्वारा सत्र न चलाने का विरोध सरकार के हित में गया।