किसानो के मंच पर विपक्षी दलो नेताओं की एकजुटता का महा सम्मेलन

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किसानों के बहाने मोदी पर हमला

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)  और कर्ज माफ़ी की मांग को लेकर देशभर के 260 किसान संगठनों से जुड़े करीब एक लाख से भी अधिक किसानों कि जमावड़ा दिल्ली में हुआ। आल इंडिया संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) के बैनर तले देश भर से आए  किसानों का यह महासम्मेलन या जमावड़ा है। किसान मुक्ति मोर्चा ने संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि संकट पर विशेष चर्चा कराने की मांग की है। किसानों का‌ दावा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिला पा रहा है। कर्ज के दवाब में पिछले एक दशक के दौरान कोई तीन लाख से भी अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। हर साल 30-32 हजार किसानों का आत्महत्या किसी भी महामारी से भी अधिक है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार के तमाम दावों के बावजूद किसानों की हालत बदतर हो रहीं हैं। महाराष्ट्र के आंदोलित किसानों का रोष बरकरार है। पश्चिम बंगाल के असंतुष्ट किसानों का आक्रोश बना हुआ है। एकं तरफ़ किसानों के आय को दोगुना करने का दावा करते थक नहीं रहीं हैं तो किसानों की पीड़ा लगातार चिंताजनक होती जा रहीं हैं। किसानों को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है। रामलीला मैदान पर एकं तरहां से विपक्षी नेताओं का भी सम्मेलन सा हों गया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एनसीपी के शरद पवार शरद यादव अरविंद केजरीवाल सीताराम येचुरी फारूख अब्दुल्ला सहित कोई 50 से भी अधिक नेताओं से किसानों का मंच भर गया।सभी नेताओं ने  प्रधानमंत्री मोदी की जमकर आलोचना की। किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ हुंकार किया। कांग्रेस के राहुल गांधी ने देश‌ के 15 सबसे अमीर लोगों के साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज माफ़ किया है। किसानों को राहत दिलाकर ही रहेगै। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कर्ज माफ़ी संभव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी जितनी चिंता अंबानी और अडानी की करते हैं उसका दस फ़ीसदी भी चिंता किसानों की करतें तो किसानों की हालत सुधर जाती है।  शरद यादव ने किसानों की हालत पर गहरी चिंता जाहिर की है। इस आंदोलन के संयोजक योगेन्द्र यादव ने कहां कि मोदी सरकार अब तक की तमाम सरकारों की तुलना में सबसे अधिक किसान विरोधी है। इसे सबक सीखाना जरूरी है।  कौन किसको सबक सिखाएगा यह तो समय तय करेगा मगर किसानों की हालत पर आंसु पोंछने के लिए  कौन वास्तव में हमदर्द साबित होगा ?यह कहना कठिन है।
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