पारिवारिक और व्यक्तिगत आरोपों-आक्षेपों के बीच होगा चुनाव? / अनामी शरण बबल

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प्रधानमंत्री के आक्रामक तेवर से जनता हैरान =========================
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी का पूरा तेवर अंदाज और आक्रामक लहजा बदला हुआ लग रहा है। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर हमला करने की बजाय गांधी परिवार पर सीधे-सीधे हमला करते हुए कहा कि जो लोग हेराफेरी के मामले में जमानत पर चल रहे हैं वही लोग मुझसे हिसाब मांग रहे हैं पहली बार बदले हुए हमलावर अंदाज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को सीधे-सीधे आक्षेप लगाया। प्रधानमंत्री के बदले हुए तेवर को देखकर लग रहा है कि इसबार लोकसभा चुनाव के दौरान सभी दलों की ओर से विकास गरीबी बेकारी को नजरअंदाज करके एकदूसरे के को नीचा और चोर बताने और साबित करने में ही संपन्न होगा। प्रधानमंत्री के बदले हुए आक्रामक तेवर से जनता भी हैरान है।
प्रधानमंत्री की वाराणसी की यह 15वीं यात्रा थी। जिसमें जलमार्ग का उद्घाटन करके वाटर हाइवे का उपहार देते हुए बनारस से हल्दिया तक गंगा नदी में जलपरिवहन का नये मार्ग का आरंभ किया। उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव अपने लोकलुभावन काव्यात्मक शैली के जुमलों के साथ-साथ आक्रामक तेवरों से मोदी ने श्रोताओं को मुग्ध करके मोहित कर दिया था। मैराथन अभियान से मोदी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो गये थे। पिछले लोकसभा चुनाव की धमक आज तक लोगों के जेहन में है। मगर इस बार हालात बदले हुए हैं।
पिछले चुनाव में मोहक और मनभावन अंदाज में किए अभियान को जनता ने काफी पसंद भी किया था। चूंकि पहली बार मोदी राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार की कमान संभाली थी, तो लोगों के बीच मोदी का चेहरा भी नया होने के चलते सबको भा गया। मगर शासन के 54 माह के बाद मोदी का चेहरा समेत इनके लोकलुभावन जुमलों और नाटकीय अंदाज अब पुराना सा हो गया है। लोगों को मोहित करने का जादू भी उतार पर है। जाहिर है कि विकास और अच्छे दिन समेत काले धन की वापसी पर सभी नागरिकों के बैंक खातों में 15-15 लाख रुपये जमा किए जाएंगे का वायदा भी कोरा कागज ही साबित हुआ। इसी तरह की और भी दर्जनों वायदों का हाल है। जाहिर है कि ऐसी घड़ी में अगले साल होने वाले लोकसभा और पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में मोदी के सामने भी खुद को पेश करने की नयी चुनौती सामने है। पिछले दिनों हरियाणा में सर छोटूराम चौधरी के सम्मान में आयोजित समारोह में विशाल प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में नया भारत आत्मनिर्भर भारत सहित कृषि पर लंबी चर्चा करते हुए एक ही झटके में जाटों पर डोरे डालकर अपनी छाप छोड़ी है। वहीं वाराणसी में विपक्षी दलों पर हमलावर होने की बजाय सीधे सीधे हेराफेरी के मामले में जमानत पर चलने का मुद्दा  उठाकर अपनी हमलावर छवि को जनता के बीच पेश करेंगे।
और यह तो अभी शुरुआत है। दरअसल दिल्ली के बाद शाह जफर मार्ग स्थित हेरॉल्ड न्यूजपेपर बिल्डिंग की दावेदारी और इसमें कांग्रेस पार्टी का लगाया गया धन भी बडा़ मुद्दा है। इसके अलावा सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा द्वारा हरियाणा और राजस्थान में की खरीदी गयी भूखंड  का विवाद भी सीबीआई के दफ्तरों में धूल खा रही है। जिसे अपने लाभ के अक्सर धूल झाड़कर फिर धूल खाने के लिए रैक में रख दिया जाता है। पारिवारिक आक्षेपों को गर्मागर्म हलवे की तरह जनता के बीच प्रधानमंत्री अपनी मोदी शैली में जनता के बीच एक नयी शब्दावली में परिभाषित करने के लिए सजग है। जाहिर है कि विपक्ष भी सीबीआई रिजर्व बैंक राफेल घोटाला सहित अरबों रुपये लेकर भागने में सफल रहे कई मोतियों माल्या समेत और भी मुद्दों पर विपक्ष एनडीए सरकार को घेरेगी । तमाम जनसरोकारी मुद्दों को हवा देने की बजाय एक दूसरे को नीचा दिखाने या चोर साबित करने के बीच ही आरोपों के जुड़ते छूटते टूटते और लगते लगाते ही खत्म होने की उम्मीद है। देखना यही दिलचस्प होगा कि आम चुनाव 2019 के लिए यदि प्रधानमंत्री मोदी अपनी रणनीति को धार देने में लगे हैं तो सामना करने और पलटकर करने के लिए विपक्ष सजग सावधान और तैयार भी है या महागठबंधन की ही रूपरेखा बनाने में व्यस्त है?
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अनामी शरण बबल
अनामी शरण बबल
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