आप के सभी 27 विधायकों की बच गयी सदस्यता

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    आप इतने लकी साबित नहीं निकले AIADMK के 18 विधाधयक  । 
                              विधानसभा की  सदस्यता  गंवाने के कगार पर खडे 45 विधायकों में से तमिलनाडु के AIADMK के 18 विधायक दिल्ली के आम आदमी पार्टी (आप) के उन 27 विधायकों इतना सौभाग्यशाली साबित नही हुए। दिल्ली के सभी 27 विधायकों को लाभ के पद पर आसीन होने के आरोप में सदस्यता संकट में थी। तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री प्लान स्वामी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर टीटी दीनाकरण के साथ खड़े हो गए थे मद्रास हाईकोर्ट ने इन सभी 18 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार कर दिया। वहीं राष्ट्रपति के निर्देश पर संतुष्ट होकर चुनाव आयोग ने विवादों से घिरे आप के सभी 27 विधायकों को आरोप मुक्त करते हुए विधायकों की सदस्यता पर लंबे समय से मंडरा रहे तमाम खतरों को समाप्त कर दिया। हालांकि दोनों राज्यों के सभी 45 सदस्यों को भी अयोग्य ठहराया जाता तो भी किसी भी सरकार के लिए कोई खतरा नहीं होता।
— उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में सुश्री जयललिता की मौत के बाद से ही AIADMK की लोकप्रियता और जनाधार में भारी गिरावट हे। मुख्यमंत्री पलानी स्वामी के नेतृत्व के खिलाफ पार्टी में भारी असंतोष था। टीटीवी दीनाकरण गुट की तरह से विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। जिसमें 18 विधायकों ने मुख्यमंत्री के विरोध में मतदान किया था। अविश्वास प्रस्ताव से सरकार बच जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी के बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य करार कर दिये गये सभी 18 विधायक हाईकोर्ट में चले गये। मद्रास हाईकोर्ट ने इस बारे मे अपना फैसला सुनाते हुए पार्टी से बागी हुए सभी विधायकों की सदस्यता के खिलाफ फैसला दिया। विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर ही मद्रास हाईकोर्ट ने अपनी मुहर जड़ दी। ये सारे अयोग्य विधायक खुलकर दीनाकरण गुट के साथ आकर अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगे। उधर जयललिता के बाद पार्टी में कोई मजबूत नेता उभर नहीं सका। जिससे धीरे-धीरे पार्टी का जनाधार और लोकप्रियता में गिरावट का दौर शुरू हो गया है।
–: उधर 70 विधायकों वाली विधानसभा में  67 विधायकों की बंपर जीत के साथ आप ने दिल्ली की राजनीति की पूरी परिभाषा ही बदल दी। राजधानी के 27 बडे़ सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बेहतर देखरेख और डॉक्टरों पर अंकुश निगरानी रखने के लिए रोगी निवारण समिति गठित की गयी। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार विधायकों  पंचायत सदस्य  समिति के सदस्य होते हैं। मगर दिल्ली में आप सरकार ने अपने 27 विधायकों को को अलग अलग क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में गठित रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया। इस पोस्ट के लिए विधायकों को कोई वेतन और भता भी नहीं दिया जाता है अलबत्ता अस्पताल में बैठने के लिए एक कमरा जरूर दिया जाता है। इसे  लाभदायक पद करार करके इस पद पर आसीन विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग समेत राष्ट्रपति के पास शिकायत की गयी। चुनाव आयोग ने भी मामले  का संज्ञान लेते हुए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा राष्ट्रपति भवन कार्यालय से चुनाव आयोग के पास मामले को वापस भेजकर उचित कार्रवाई का आदेश दिया गया। जिसके बाद चुनाव आयोग ने विधायकों के खिलाफ इस आरोप पत्र को खारिज करते हुए सभी 27 विधायकों की सदस्यता को बचा लिया। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद आप के ऊपर संकट के बादल छंट गये हालांकि 27 सदस्यों की सदस्यता खारिज कर दिए जाने की हालत में भी आप सरकार पर कोई खतरा नहीं होता।  आप मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपाई नेताओं और केंद्र सरकार पर दिल्ली को अस्थिर और लाभ से महरूम रखने का आरोप लगाया है।
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