विश्व हिंदू कांग्रेस के दूसरे दिन ‘हिंदूओं के उदगमन’ को लेकर चर्चा की गई

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कुमार राकेश

शिकागो, यूएसए: शिकागो में आयोजित विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) 2018 के दूसरे दिन ‘हिंदूओं के उदगमन’ को लेकर चर्चा की गई।

इस चर्चा सम्मेलन में चिंमय मिशन के प्रमुख, स्वामी पूर्णआत्मानंद; हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव, स्वामी परमात्मानंद; नामधारी पंथ के, सद्गुरु दलिप सिंह; अक्षय पात्र फाउंडेशन के अध्यक्ष, मधु पंडित दास और कई अन्य लोग मौजूद रहे।

सम्मेलन में एक ठोस और एक सख्त लड्डू के जरिए समझाया कि किस तरह से आज के परिदृश्य में नरम लड्डू हिंदुओं की स्थिति को समझाता है जो की आसानी से तोड़ा जा सकता है और निगला जा सकता है वहीं दूसरी ओर सख्त लड्डू जिसे न ही तोड़ा जा सकता है और न ही निगला जा सकता है, भविष्य की दृष्टि से हिंदूओं को ऐसे ही दृढ़ता के बंधन से बने रहने की आवश्यकता है।

चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी पूर्णआत्मानंद ने सम्मेलन में कहा कि सभी हिंदुओं को पुनरुत्थान के लिए एकजुट होना पड़ेगा।

हिंदू धर्म के पुनरुत्थान पर उन्होंने घोषणा की कि, “सब कुछ घर से शुरू होता है। जब परिवार टूट जाता है, संस्कृति टूट जाती है, और बेईमानी का जीवन चलता है। “एकता की भावना का मतलब यह नहीं है कि सभी को जैसा होना चाहिए बल्कि विविधता के बीच में हमारे अंदर समर्पण भाव होना चाहिए।”

स्वामी परमात्मानंद, हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव ने कहा, हिंदुओं को न केवल अपने पुनरुत्थान के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के पुनरुत्थान के लिए सामूहिक रूप से सोचना चाहिए। “भगवान ने ये दुनिया इसीलिए नही बनाई ताकि मनुष्य इसे बर्बाद कर सकें, यें हम सब हिंदूओं की जिम्मेदारी बनती है की हम इस प्रकृति को बचाने का प्रयास करें।”

नामधारी पंथ के सद्गुरु दलिप सिंह ने गुरु ग्रंथ साहेब का हवाला देते हुए कहा की सिखों को हमेशा हिंदू बने रहना चाहिए। उन्होने कहा हिंदुओं और सिखों को कभी अलग नहीं किया जा सकता है।

सद्गुरु दलिप सिंह ने हिंदुओं से आग्रह किया की वो इंडिया बोलने के बजाए भारत बोले और साथ ही हिन्दी का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। उन्होंने उन लोगों की भी निंदा की जो बार-बार अपनी मातृभूमि भारत को भला बुरा कहते हैं। उन्होंने हिंदुओं, जैन, सिखों और बौद्धों की एक भारतीय संगठन की भी कल्पना करी।

मधु पंडित जो की अक्षय पात्र फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं, ने हिंदू आबादी के पतन का जिक्र करते हुए कहा की भारत सरकार द्वारा प्रचारित परिवार नियोजन कार्यक्रम के बाद भारत में हिंदुओं के जन्म दर में कमी आई।

इससे पहले राजा कृष्णमूर्ति ने विश्व हिंदू कांग्रेस को संबोधित किया। कृष्णमूर्ति ने कहा, “हिंदू सभी लोगों का स्वागत करता है, सभी लोगों को गले लगाता है, सभी लोगों को उनके अलग-अलग धर्म, पंथ के बावजूद स्वीकार करता है।”

“संक्षेप में, मैं स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को मानता हूँ। यह मुझे समानता और बहुलवाद की भावना में बने रहने की ओर अग्रसर करती है।”

तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में 60 से भी ज्यादा देशों से लोग उपस्थित हैं जो कि पूरे संसार में कैसे शांति स्थापित हो इस को लेकर चर्चा कर रहे हैं। हिन्दूओं के इस सम्मेलन को 1893 में स्वामी विवेकानंद के धर्म संसद में दिए भाषण की 125वीं वर्षगांठ के रुप में भी मनाया जा रहा है। विवेकानंद ने शिकागो में अपने भाषण में हिंदू संस्कृति को विश्व पटल पर रखा था।

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