खराब हिप इम्पलांट सर्जरी के चलते जॉनसन एंड जॉनसन को देना होगा मुआवजा

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नई दिल्लीः अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भारत में हिप इम्प्लांट सर्जरी को लेकर विवादों में है। अब सरकार ने जॉनसन ऐंड जॉनसन का एएसआर हिप सिस्टम (कूल्हा प्रत्यारोपण) लगाने वाले मरीजों की पहचान और उन्हें मुआवजा दिलाने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए पूरे देश में व्यापक अभियान चलाया जाएगा। सरकार का कहना है कि दोषपूर्ण उपकरण बनाने वाली इस अमेरिकी कंपनी से प्रभावित मरीजों को मुआवजा दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

मुआवजे की राशि होगी तय

मरीजों की पहचान के बाद सरकार हर मामले में मुआवजे की राशि तय करेगी और फिर दावे के निपटाने के लिए कंपनी से संपर्क साधेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर कंपनी ने दावों को मानने से इनकार किया तो फिर सरकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत जनहित में उसके खिलाफ मामला दायर करेगी।’ अधिकारी ने दावा किया कि भारत पहला देश होगा जहां सरकार ने न केवल मरीजों की पहचान का जिम्मा उठाया है बल्कि वह उन्हें मुआवजा दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

मरीजों की होगी जांच

जॉनसन ऐंड जॉनसन की सहयोगी कंपनी डीपईज एएसआर हिप रिप्लेसमेंट सिस्टम ने भारत में कूल्हे बदलने के लिए 4,700 ऑपरेशन किए थे। लेकिन एएसआर हेल्पलाइन के जरिए केवल 882 मरीजों की ही पहचान हो पाई है। मरीजों की विकलांगता जानने के लिए उनकी जांच की जाएगी। इसके लिए कई तरह के परीक्षण किए जाएंगे जिनका खर्च कंपनी वहन करेगी। हर मरीज की रिपोर्ट केंद्रीय विशेषज्ञ समिति को सौंपी जाएगी जो मरीजों द्वारा सौंपी गई रिपोर्टों और दस्तावेजों की समीक्षा करेगी तथा उसके बाद मुआवजे की राशि तय करेगी।

क्‍या है मामला

एएसआर हिप रिप्लेसमेंट सिस्‍टम के घटिया होने की बात उसके भारत में बेचे जाने से पहले ही सामने आ चुकी थी। इन खराब सिस्‍टम के कारण मरीजों की जान पर बन आई है। ब्‍लड में कोबाल्‍ट और क्रोमियम उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गए हैं और वह जहरीला हो चुका है। मेटल ऑयन से टीशू को नुकसान हुआ और इसका असर धीरे-धीरे शरीर के अंगों पर पड़ा। इससे मरीजों को तमाम तरह की शारीरिक दिक्‍कतें शुरू हो गई हैं।

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