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लिव इन रिलेशनशिप

‘बिना जिम्मेदारी समाज नहीं चलता’ लिव-इन रिश्तों पर मोहन भागवत की टिप्पणी

लिव-इन रिलेशनशिप को जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति बताया कहा—शादी और परिवार समाज को स्थिरता देने वाली व्यवस्था हैं बच्चों की संख्या पर कोई तय फॉर्मूला नहीं, यह निजी और सामाजिक निर्णय घटती जन्म दर को दीर्घकालिक…
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हिंदू घटती जन्म दर: डॉ. मोहन भागवत की चिंता और समाज की नई प्रवृत्तियाँ

पूनम शर्मा भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना का सबसे बड़ा आधार परिवार है। परिवार सिर्फ एक सामाजिक संस्था नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं, संस्कारों और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले मूल्यों का वाहक भी है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के…
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मुस्लिमों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट

समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली, 8मई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले की सुनवाई के दौरान कहा कि इस्लाम धर्म को मानने वाला कोई भी शख्स लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का दावा नहीं कर सकता है। खासकर तब, जब पहले से उसकी कोई जीवित जीवनसंगिनी…
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दो शादीशुदा वयस्क के बीच लिव इन रिलेशनशिप भले ही समाज को स्वीकार न हो, लेकिन ये अपराध नहीं- दिल्ली…

दो शादीशुदा वयस्क के बीच लिव इन रिलेशनशिप सामाजिक रूप से अस्वीकार्य हो सकता है, लेकिन ये अपराध नहीं. दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की.
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