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ख्वाबों

यादों के झरोखे से- ख्वाबों और खयालों से बनी तेरी तस्वीर

पार्थसारथि थपलियाल मेरे एक मित्र ने आज कल व्हाट्सएप पर लिखा- तस्वीर। मुझे नही मालूम कि वे मुझे क्या याद दिलाना चाहते थे, इतना मुझे याद था कि वे मेरे शब्द संदर्भ कॉलम के नियमित पाठक थे। तस्वीर शब्द पढ़ते ही मैं अचानक वर्ष 1992-93 की…
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