अब भी क्यों नहीं मान रहे किसान
"यह बची खुशी रोशनी भी क्या घर लेकर जाएंगे, बिखरा कर राहों में कल फिर चल कर आएंगे"
उन्हें उस हर रोशनी का हुनर मालूम है जो निराश मन को रौशन करता है, पर किसानों के मन के मर्म को, दर्द को भांपने में उनसे देर हो गई, कुछ गलत फीडबैक…
Read More...
Read More...