बोल बोल रानी, कित्ता कित्ता पानी, ताँबे के बर्तन में इत्ता इत्ता पानी….
एक दौर था जब पीने का ताँबे की गुंडियों, वेसल्स और लोटों में रखा जाता था। गाँव देहात में ये प्रचलन आज भी कहीं ना कहीं देखने में आ ही जाता है लेकिन बीते कुछ दशकों में हमने ताँबे को भूलना शुरू कर दिया। मेरे ननिहाल में ताबें की बहुत बड़ी गुंड…
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