मंथन- पंचनद : दैशिक शास्त्र (12)
पार्थसारथि थपलियाल
विचार मंथन का उद्देश्य होता है हमें जो मार्ग पकड़ना है उस पर चलने से पहले हम विवेकपूर्ण चिंतन कर उस विचार को मथ लें ताकि यात्रा सुनियोजित तरीके से सफल हो। इस प्रकार का मंथन इस सत्र में हुआ। अगला सत्र दैशिक शास्त्र पर…
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