Browsing Tag

Life cycle

जब हमारे लिए समय का पइया रुकने के लिए तैयार हो

जीवन जितनी सहजता से जीया जा सकता है, उतनी ही असहज मृत्यु हो सकती है। खासकर तब जब वह देहरी पर आकर खड़ी हो जाए। न भीतर आए न बाहर जाए। वह द्वार पर खड़ी है, उस भिक्षुक की तरह जो न कटोरा आगे करता है और न पैर आगे बढ़ाता है। गृह स्वामी संकोच में…
Read More...