क्या गांधी परिवार का रुतबा कम हुआ है?
त्रिदीब रमण
’हमारे हौसले कम न थे, रगों में दौड़ते खून में भी रफ्तार थी
भले कितनी ही कुंद हमारे तलवारों की धार थी
दुश्मन था सामने और दिख रही हमारी हार थी
सेनापति, हम न छोड़ते रणभूमि, सुनाई देती जो तेरी हुंकार थी’…
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