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Judicial Accountability

धीमा न्याय, फीकी आशा: भारत में न्यायिक सुधारों की आवश्यकता

दिव्य सेन सिंह विशेन भारत का संविधान न्याय को राज्य के प्रमुख उद्देश्यों में स्थान देता है, और प्रत्येक नागरिक को शीघ्र, सस्ता तथा सुलभ न्याय दिलाने की बात करता है। किंतु आज भारत की न्यायिक प्रणाली जिस संकट से जूझ रही है, वह “न्याय में…
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“एक राष्ट्र, दो न्याय?”: सर्वोच्च न्यायालय की दोहरी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल

समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली,19 अप्रैल। देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था — सुप्रीम कोर्ट, जो कभी संविधानिक नैतिकता का अंतिम प्रहरी मानी जाती थी, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ उस पर न्याय की निष्पक्षता में दोहरापन अपनाने के आरोप लग रहे हैं।…
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भारत में न्यायिक जवाबदेही: सर्वोच्च जिम्मेदारी या शक्ति का खेल?

समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली,25 मार्च। भारत का सर्वोच्च न्यायालय अक्सर संविधान का संरक्षक माना जाता है, जो देश की कानूनी और सामाजिक दिशा तय करने वाले ऐतिहासिक फैसले सुनाता है। लेकिन इसके जवाबदेही, पारदर्शिता और न्यायिक अतिक्रमण को लेकर लंबे…
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भारतीय न्यायपालिका: क्या सच में कानून से ऊपर हैं न्यायाधीश?

समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली,22 मार्च। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने की घटना सुर्खियों में रही। जब दमकल विभाग ने आग बुझाने के बाद निरीक्षण किया, तो बंगले के अलग-अलग कमरों में भारी मात्रा में नकदी बरामद…
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नकद, भ्रष्टाचार और न्यायपालिका: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का मामला

समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली,22 मार्च। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़ा हालिया घोटाला न्यायपालिका की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। रिपोर्टों के अनुसार, उनके आवास से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी…
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