भारतीय ज्ञान का खजाना- 3
प्रशांत पोळ। विश्व के किसी भी भूभाग में यदि किसी संस्कृति को टिकी रहना हैं, जीवंत रहना है, तो उसे परिपूर्ण होना आवश्यक है. ‘परिपूर्ण’ का अर्थ यह है कि उस संस्कृति को मानवीय मन का सर्वांगीण विचार करना चाहिए, समाज की इच्छाओं का विचार करना…
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