यह समय कितना कड़ा है
डा; ईश्वर सिंह तेवतिया।
यह समय कितना कड़ा है
यह समय कितना कड़ा है
सामना जिससे पड़ा है
चैन से हम सो रहे थे
मस्तियों में खो रहे थे
झाड़कर के हाथ सबसे
हाथ सबसे धो रहे थे
आत्मनिर्भर बन रहे थे
पांव नभ पर रख रहे थे
कामयाबी के फलों को…
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