भारतीय संस्कृति का आर्तनाद
*पूनम शर्मा
विचर रही थी कि,
मिली मुझे
एक दिवस
सूखे अधर,
कृशकाय,
मरणासन्न सदृश,
भान हुआ कहीं देखा,
मिली अवश्य,
मैंने कौतूहल वश,
पूछ लिया,
यह कष्ट असाध्य ,
पीड़ा दर्द
सबकुछ ,
किसने,
कैसे तुम्हें दिया,
तार तार,…
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