Browsing Tag

स्वर्णिम छटा

युग पुरुष अटल !

हे युगपुरुष,  हे पथ प्रदर्शक, गौरव भरा जिसका सफर! अपूर्णता में पूर्णता, हर भाव तेरा था निडर! उन्मुक्त पंछी बन गगन का, चीर कर काली घटा, बन दिवाकर किरणों से, विश्व को दी स्वर्णिम छटा दी दिशा कोटि कदमों को , किया…
Read More...