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सार्वजनिक जीवन

सार्वजनिक जीवन के वैचारिक बौने लोग

पार्थसारथि थपलियाल भारत में मर्यादाओं की रक्षा समाज स्वयं करता आया है। लोक संस्कार, लोक व्यवहार, लोक अभिव्यक्ति और प्रदर्शन को लोक-मर्यादा और लोक-लाज नियंत्रित करते रहे। मर्यादाविहीन आचरण करने वाले स्वयं ही खलनायक बन जाते हैं। लोक…
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सार्वजनिक जीवन में हर बहू बेटी,बहन, पत्नी को मर्यादा में रहना चाहिए- साध्वी सत्यप्रभा गिरी

* साध्वी सत्यप्रभा गिरी जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्वजनिक है। ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की को मनचाही अर्धनग्नता युक्त वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है क्योंकि जीवन सार्वजनिक है। एकांत…
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