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पाठशाला

राष्ट्रप्रथम- ग़लत फहमी के नैरेटिव की पाठशाला

पार्थसारथि थपलियाल पापी पेट क्या नही करवाता इसका प्रबल उदाहरण है पत्रकारिता। 30-35 साल पहले झूठ का सच गड़ने वाले न समाचार पत्र हुआ करते थे न रेडियो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। आकाशवाणी विवादित विषयों की बजाय सामाजिक उत्थान, विकासात्मक और…
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पाठशाला बंद है, मधुशाला खुली है…

 कुमार राकेश पाठशाला बंद है , मधुशाला खुली है . दिमाग़ बंद है , दिल कराह रहा है . जनता सुस्त है , सरकार मस्त है. लोक नशे में है , तंत्र मस्ती में . झूठ बड़ा है , पर सत्य छोटा है . हम ज़िंदा होने की आस में मरते जा रहे है .…
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