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धंधे

राष्ट्रप्रथम- राजनीति राष्ट्र के लिए या धंधे के लिये

पार्थसारथि थपलियाल बात 1975 की है। उन दिनों सर्वोदयी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन चल रहा था। देशभर में रामधारी सिंह दिनकर की कविता की ये पंक्ति आंदोलन का हिस्सा बन गई थी- "सिंहासन खाली करो अब…
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